scriptचार साल पहले सड़क दुर्घटना के बाद जिंदा लाश बन चुके सिक्योरिटी गार्ड को मिला न्याय | Hunan Story:Security Guard got justice after handicapt due to accident | Patrika News

चार साल पहले सड़क दुर्घटना के बाद जिंदा लाश बन चुके सिक्योरिटी गार्ड को मिला न्याय

locationदुर्गPublished: Jul 25, 2018 08:40:29 pm

सड़क दुर्घटना के एक मामले में घायल सिक्योरिटी गार्ड को 17 लाख 96 हजार रुपए मुआवजा मिलेगा।

Durg patrika

चार साल पहले सड़क दुर्घटना के बाद जिंदा लाश बन चुके सिक्योरिटी गार्ड को मिला न्याय

दुर्ग. सड़क दुर्घटना के एक मामले में घायल सिक्योरिटी गार्ड को 17 लाख 96 हजार रुपए मुआवजा मिलेगा। न्यायालय मोटर दुर्घटना दावा अभिकरण के न्यायाधीश मधुसूदन चंद्राकर ने फैसले में इतनी राशि का मुआवजा देने का आदेश दिया है। प्रकरण के अनुसार डीपीएएस चौक रिसाली के पास चार साल पहले सड़क दुर्घटना में बैंक का सिक्योरिटी गार्ड रामपुकार सिंह गंभीर रुप से घायल हो गया था। लाखों खर्च करने के बाद भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुआ। दुर्घटना का असर दिमाग पर हुआ। इस प्रकरण में न्यायाधीश मधुसूदन चंद्राकर ने बुधवार को फैसला सुनाया। फैसले के मुताबिक मुआवजा राशि दि ओरिएटल इंश्योरेंस कंपनी देगी। सिक्योरिटी गार्ड रामपुकार और उसके भाई रामआशीष सिंह ने न्यायालय में आरोपी बाइक चालक आशीष नगर निवासी के जानसन ( ३५ वर्ष) और बीमा कंपनी के खिलाफ परिवाद प्रस्तुत किया था।
सिक्योरिटी गार्ड 17 मार्च 2014 को बैंक से घर लौट रहा था

न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि बीमा कंपनी मुआवजा राशि में १३ लाख क ो पांच वर्ष के लिए राष्ट्रीयकृत बैंक में फिक्स करें। वहीं १४ लाख रुपए को चालू खाता में डाले। प्रकरण के मुताबिक सिक्योरिटी गार्ड १७ मार्च २०१४ को बैंक से घर लौट रहा था। डीपीएस चौक रिसाली के निकट आरोपी बाइक सवार ने ठोकर मार दी थी। इस दुर्घटना में उसके पैर, सिर, हाथ व रीढ़ की हड्डी में चोट आई थी।
पुलिस ने काउंटर केस बनाया
इस प्रकरण में नेवई पुलिस ने अपराध दर्ज किया था। पुलिस ने दोनों बाइक चालक के खिलाफ काउंटर केस बनाया था। सिक्योरिटी गार्ड की शिकायत पर जानसन के खिलाफ और जनसन की शिकायत पर सिक्योरिटी गार्ड के खिलाफ लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने का मामला दर्ज किया था।
शरीर का 75 हिस्सा काम नहीं कर रहा
परिवादी ने न्यायालय को जानकारी दी थी कि दुर्घटना में उसे गंभीर चोटें आई थी। दिमाग में असर पडऩे के कारण बाद में वह मनोरोग का शिकार हो गया। रीढ़ की हड्डी में चोट आने के कारण वह दिव्यांग हो गया। परिवादी ने अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. अखिलेश यादव का पर्ची साक्ष्य के रुप में प्रस्तुत किया था।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो