लंबी दूरी की ट्रेनों में पेंट्रीकार नहीं होने और लंबी-लंबी दूरी पर स्टापेज होने से यात्रियों को होने वाली परेशानी के बारे में कई बार रेलवे बोर्ड तक शिकायत की जा चुकी है। अगर आप दुर्ग-जयपुर या साउथ बिहार एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे हैं तो भोजन, नाश्ता जरूर रखें,नहीं तो भूख प्यास से बेहाल होना पड़ सकता है। क्योंकि इन ट्रेनों में पेंट्रीकार नहीं है और स्टॉपेज जिन स्टेशनों पर है वहां पर्याप्त खाने-पीने की वस्तु नहीं होती है। ये दो ट्रेन ही नहीं बल्कि रायपुर मंडल से चलने वाली 15 प्राइमरी ट्रेनों में से आधी ट्रेनों में पेंट्रीकार नहीं है। इन १५ प्राइमरी ट्रेनों में से 13 ट्रेनें दुर्ग जंक्शन से चलती है। पेंट्रीकार नहीं होने के कारण कम से कम दस हजार लोगों को इन ट्रेनों में सफर के दौरान खाना साथ लेकर यात्रा करना पड़ता है।
अलग-अलग स्तर पर यात्रियों ने ये शिकायतें जनप्रतिनिधियों के जरिए करवाई, लेकिन इसमें कोई सुधार नहीं हुआ। यात्रियों की मांग है कि साप्ताहिक ट्रेन का स्टापेज हर 100 से 150 किलोमीटर में आवश्यक रूप से होना चाहिए ताकि उसमें चलने वाले यात्री अपनी जरूरत का सामान ले सकें। बहुत से यात्री सफर के दौरान खाने-पीने का सामान कम रखते हैं और स्टेशनों में ही खाने-पीने का सामान लेकर सफर पूरा करते हैं। ऐसे यात्रियों को लंबी दूरी के स्टापेज वाली ट्रेन में खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
रेल मंत्रालय ने स्टेशन और यात्रा के दौरान यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं क ा मूल्यांकन करने चार सदस्यी टीम गठित की है। ये चार सदस्यी टीम में शामिल सदस्य देशभर में यात्रा कर और स्टेशन का निरीक्षण कर रिपोर्ट सीधे रेल मंत्रालय को सौपते हैं। छह माह पहले टीम के सदस्य दुर्ग स्टेशन आए थे। तब दुर्ग जिला यात्री संघ के पदाधिकारियों ने सभी प्राइमरी ट्रेनों में पेंट्रीकार लगाने की अनुशंसा करने ज्ञापन सौंपा था। तब कहा गया था कि उनकी बात मंत्रालय तक जरूर पहुंचाएंगे।
इन ट्रेनों में सफर करने वाले कई यात्रियों से पत्रिका ने बात की। यात्री प्रकाश राणा ने बताया कभी भूल नहीं सकता, गर्मी के समय दुर्ग-जयपुर की यात्रा, पानी के लिए तरस गया पूरा परिवार, खाना तो भूल जाओ… ट्रेन दुर्ग से जयपुर जिस रूट से जाती है वहां एक भी जंक्शन सुबह तक नहीं आया। अमरकंटक में दुर्ग से भोपाल सफर करने वाले व्यापारी महेश कोचर ने बताया कि उन्हें बिलासपुर के बाद कटनी तक भूखे प्यासे रहना पड़ा। कटनी में भी कुछ खाने को नहीं मिला। वहां भी ट्रेन आधी रात को पहुंची।
रायपुर रेल मंडल यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के मामले में देश के टॉप-५ मंडलों मे शामिल है। रेलवे के अधिकारियों दावा है कि रेलवे यात्रियों के बेहतर सुविधाएं देने के मामले में लगातार सुधार कर रहा है। लंबी दूरी के ट्रेनों में पेंट्रीकार न होने के मामले में उनके पास जवाब नहीं है। उनका कहना है कि यह व्यवस्था टेंडर पर चलती है।
बिना पेंट्रीकार चलने वाली ट्रेनों के यात्रियों को अब भूखे पेट सफर की आवश्यकता नहीं है। ट्रेनों में भोजन परोसा जा सके इसके लिए ई- कैटरिंग की सुविधा शुरू हो गई। इस तरह के बड़े-बड़े दावों की हकीकत कुछ ओर ही है। आईआरसीटीसी की इस सुविधा का अधिकतर यात्रियों को पता नहीं हैं। ये सुविधा भी देश की चुनिंदा ट्रेनों में ही शुरू की गई है।
यात्रियों को सफर के दौरान बेहतर भोजन उपलब्ध कराने कई अभिनव प्रयोग किए। ऑनलाइन सर्विस के अलावा सही नाश्ता, भोजन नहीं मिलने पर ऑनलाइन शिकायत के लिए साफ्टवेयर बनाया है। पेंट्रीकार से भोजन लेने पर बिल देने के निर्देश दिए है। रेल मंत्रालय के निर्देश के बाद भी गिनती के ट्रेनों में यात्रियों को खाद्य पदार्थ लेने पर बिल दिया जा रहा है।
पीआरओ रायपुर रेल मंडल तनमय मुखोपध्याय ने कहा कि निर्देश का पालन करने में समय लगता है। रेलवे पेंट्रीकार टेंडर के माध्यम से संचालित करता है। मुबंई-हावड़ा रेल लाइन पर चलने वाली कुछ ट्रेनों में निर्देश का पालन किया जा रहा हैं। जल्द ही सभी ट्रेनों में बिलिंग की सुविधा होगी।