बैठक में सदस्यों ने दोषी कर्मचारियों के चल अचल संपत्तियों की भी जांच की मांग उठाई। सदस्यों का कहना था कि दोषी कर्मियों का रहन-सहन पिछले कुछ सालों में बेहद बदली है। ऐसे में आर्थिक स्रोत की जांच कराई जानी चाहिए। सदस्य इससे पहले भी एमआइसी की बैठक में चल-अचल संपत्तियों की जांच की मांग उठा चुके हैं।
राज्य शासन द्वारा रोके गए 14.64 करोड़ के 127 कार्यों को लेकर भी सदस्यों की जोरदार नाराजगी फूटी। सदस्य निगम कमिश्नर द्वारा सामान्य सभा की बैठक में इन कार्यों की स्वीकृति संबंधित घोषणा पर जवाब चाह रहे थे। इस दौरान सदस्यों ने विधायक अरुण वोरा पर गलत बयानबाजी के भी आरोप लगाए।
बैठक में मामले की जांच के लिए अफसरों की दो सदस्यीय टीम बनाने का फैसला किया। टीम की अगुवाई इंजीनियर जगदीश केशरवानी करेंगे। उनके साथ इंजीनियर आरके जैन को सहायक अधिकारी बनाया गया है। अफसरों को आवासों की स्थिति और संबंधित फाइलों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा गया है।
आवासों की राशि में घालमेल के मामले में सहायक राजस्व निरीक्षक संजय मिश्रा व सहायक ग्रेड तीन मंदाकिनी वर्मा के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने पुलगांव पुलिस को पत्र लिखा गया था। बैठक में अफसर इसी पत्र का हवाला देकर बचने की कोशिश करते रहे। उनका कहना था कि पुलिस ने मामला अहस्तक्षेप योग्य बताया है, इसलिए कर्मियों को बहाल किया गया है।