मुरुम व सीमेंट की डीपीसी से मार्किंग
प्लाट होल्डर्स का कहना है कि एक बार एप्रूव ले-आउट में दोबारा बदलाव नहीं किया जा सकता। खासकर सड़क और ओपन स्पेस पर निर्माण नहीं किया जा सकता, लेकिन कॉलोइजर द्वारा आधी सड़क और ओपन स्पेस पर मुरुम और सीमेंट की सीसी डालकर प्लाट की मार्किंग कर ली गई है। इससे पहले छोटे गड्ढ़े खोदकर मार्किंग किया गया था।
रजिस्ट्री व सीमांकन में 60 फीट सड़क
प्लाट होल्डर्स ने बताया कि कॉलोनी के सभी प्लाट होल्डर्स की रजिस्ट्री में उक्त सड़क को 60 फीट दर्शाया गया है। इसके अलावा समय-समय पर निर्माण के लिए प्लाट के सीमांकन भी कराए गए हैं। इसमें भी सड़क की चौड़ाई 60 फीट बताई गई है। इसके अलावा ओपन स्पेस का भी जिक्र है। इसके बाद भी 30 फीट सड़क और ओपन स्पेस को दबाकर प्लाटिंग किया जा रहा है।
कलेक्टर से सीएम तक शिकायत
प्लाट होल्डर डॉ. अखिलेश राय ने बताया कि मामले की शिकायत कलेक्टर अंकित आनंद, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अफसर विनीत नायर, निगम कमिश्नर इंद्रजीत बर्मन सहित सभी जिम्मेदार अफसरों से की जा चुकी है। इसके अलावा विधायक अरुण वोरा व सीएम भूपेश बघेल से भी शिकायत की गई है, लेकिन अवैध प्लाटिंग को रोकने की दिशा में कार्रवाई नहीं की जा रही है।
पहले भी हो चुकी है प्लाट बेचने की कोशिश
प्लाट होल्डर्स डॉ. अखिलेश राय, राकेश कुमार कोष्टा, रामअवतार जांगीड़, विष्णु प्रजापति व अन्य ने बताया कि इससे पहले भी वर्ष 2011 में सड़क और ओपन स्पेस पर प्लाटिंग कर बेचने की कोशिश हो चुकी है। तब इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की गई थी। इस पर मामले की जांच कर अवैध प्लाटिंग पर रोक लगाई गई थी।