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जब छत्तीसगढ़ से होकर गुजरा शेषनाग तो रेलवे भी रह गया हैरान, पहली बार देश ने देखी सुपर पायथन की रफ्तार

locationदुर्गPublished: Jul 04, 2020 11:50:26 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

भारतीय रेलवे के इतिहास में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे नागपुर मंडल ने एक साथ 4 मालगाडिय़ों को आपस में जोड़कर चलाने का रिकॉर्ड कायम किया है। रेलवे ने इसे सुपर पायथन यानि शेषनाग नाम दिया है। (super Anaconda train)

जब छत्तीसगढ़ से होकर गुजरा शेषनाग तो रेलवे भी रह गया हैरान, पहली बार देश ने देखी सुपर पायथन की रफ्तार

जब छत्तीसगढ़ से होकर गुजरा शेषनाग तो रेलवे भी रह गया हैरान, पहली बार देश ने देखी सुपर पायथन की रफ्तार

दुर्ग/राजनांदगांव. भारतीय रेलवे (Indian Railway) के इतिहास में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (South East Central Railway zone) नागपुर मंडल ने एक साथ 4 मालगाडिय़ों को आपस में जोड़कर चलाने का रिकॉर्ड कायम किया है। रेलवे ने इसे सुपर पायथन यानि शेषनाग नाम दिया है। यह ट्रेन दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नागपुर डिवीजन से कोरबा के बीच चली है। शेषनाग ने करीब 260 किलोमीटर की दूरी छह घंटे में पूरी की। यह पहली बार है जब देश में एक साथ चार मालगाडिय़ों को जोड़कर चलाया गया है। इसके पहले तीन मालगाडिय़ों को जोड़ा गया था जिसे एनाकोंडा नाम दिया गया था।
जब छत्तीसगढ़ से होकर गुजरा शेषनाग तो रेलवे भी रह गया हैरान, पहली बार देश ने देखी सुपर पायथन की रफ्तार
दुर्ग से कोरबा के बीच चली
नागपुर रेल मंडल ने परमालकसा से दुर्ग रेलवे स्टेशन तक मालगाड़ी को 2 जुलाई को चलाया था। दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर मालगाड़ी निकली और 45 मिनट में दोपहर 3 बजकर 5 मिनट में दुर्ग पहुंची। उसके बाद रैक दुर्ग से बिलासपुर और फिर बिलासपुर से कोरबा भेजी गई।
बता दें इसी के साथ शेषनाग ने सुपर एनाकोंडा को पछाड़ दिया है। शेषनाग भारत की अब सबसे लंबी ट्रेन बन गई है। शेषनाग में चार मालगाड़ी ट्रेन/रेक (4 मालगाड़ी खाली), 251 वेगन हैं। यह ट्रेन दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नागपुर डिवीजन से कोरबा के बीच चली है।
पहले एनाकोंडा ने बनाया था रिकॉर्ड
सुपर एनाकोंडा तीन लोडेड मालगाडिय़ों को जोड़कर बनाई गई थी। सुपर एनाकोंडा की कैटेगरी में दो ट्रेनें थीं। यह ट्रेन 30 जून को रायपुर डिवीजन के भिलाई से साउथ ईस्टर्न रेलवे तक चली थी और इसमें 151 वेगन थे। 1.9 किलोमीटर लंबाई थी। यह बिलासपुर डिवीजन के लचकुरा से चक्रधरपुर डिवीजन के राउरकेला तक भी चली थी।
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