जागृति साहू बीएससी और एमए पास हैं। इसलिए उनकी इच्छा थी कि नौकरी करें। जागृति का शिक्षाकर्मी के लिए चयनित होने के बाद भी कुछ तकनीकी कारणों से टीचर बनने का सपना अधूरा रह गया था। जागृति के पति और बच्ची को मशरूम खाना बहुत पसंद था। सप्ताह में करीब दो से तीन बार उनके घर मशरूम जरूर आता था। वे 200 रुपए प्रति किलो में मशरूम खरीदा करतीं थी। जागृति को पति ने मशरूम उत्पादन का आइडिया दिया। जिसके बाद उन्होंने कभी पलटकर नहीं देखा। कई असफल कोशिशों के बाद आखिरकर मशरूम उगाकर अपनी एक अलग पहचान बना ही ली।
जागृति ने इस कार्य से महिलाओं को जोड़ा। उनके समूह में 12 महिलाएं हैं। वर्ष 2018 से लेकर अब तक उन्होंने 6 लाख रुपए की आमदनी अर्जित की है। इस साल उनके इस समूह द्वारा 2 लाख 20 हजार रुपए का मशरूम बेचा गया है। जागृति ने बताया कि मशरूम में लागत का दोगुना फायदा होता है। 120 रुपए प्रति किलो में मशरूम के बीज खरीदती हैं और 1 किलो बीज से 10 किलो मशरूम का उत्पादन होता है।
जागृति ने मशरूम उत्पादन करना सीखा लेकिन उनकी यात्रा यही समाप्त नहीं हुई उनके कौशल को देखते हुए राजधानी रायपुर में संचालित एकमात्र कृषक प्रशिक्षण केंद्र में मास्टर ट्रेनर के रूप में चयनित कर लिया गया। आज वह प्रदेश भर की महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही हैं। जागृति बताती है कि अब तक उन्होंने 850 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है जिसमें से 750 महिलाएं मशरूम उत्पादन कर आमदनी अर्जित कर रही हैं।