देशभर में इस वक्त आक्रोश है। आम से लेकर खास तक सभी शहादत का ऋण अदा करने की मांग कर रहे है।
दर्द और आक्रोश से भरी पंक्तियां देश की सीमा पर जब जवान तैनात होते हैं तब हम अपने घरों में अपनों के साथ अपनी निजी खुशियं मना पाते हैं। जब शहादत होती है तो सिर्फ वो जवान शहीद नहीं होता, उसका पूरा परिवार शहीद होता है। माँ का आंचल शहीद होता है, पिता की लाठी शहीद होती है। बहन की राखी शहीद होती है।
भाई का साया शहीद होता है। पत्नी की चूडिय़ां शहीद होती है और बेटे की उम्मीद शहीद होती है… और जब शहादत होती है, तब हर भारतीय के दिल से आवाज निकलती है… अब बस… और तब आक्रोश से निकलती है यह कविता…सुनिए पुलिस अकादमी के पुलिस कप्तान शशिमोहन सिंह की आवाज में।