scriptजिले में 12 हजार चार पहिया वाहन, एक मई से जीपीएस सिस्टम लगाना अनिवार्य | It is mandatory to have a GPS system in vehicles from May 1 | Patrika News

जिले में 12 हजार चार पहिया वाहन, एक मई से जीपीएस सिस्टम लगाना अनिवार्य

locationदुर्गPublished: Apr 18, 2019 05:14:02 pm

Submitted by:

Naresh Verma

जिले में छोट बड़े चारपहिया वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा। केन्द्र ने गुड्स वीकल और हल्के वाहनों से लेकर बसों में जीपीएस सिस्टम को अनिवार्य कर दिया है।

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जिले में 12 हजार चार पहिया वाहन, एक मई से जीपीएस सिस्टम लगाना अनिवार्य

दुर्ग. जिले में छोट बड़े चारपहिया वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा। केन्द्र ने गुड्स वीकल और हल्के वाहनों से लेकर बसों में जीपीएस सिस्टम को अनिवार्य कर दिया है। जिले में इसकी शुरूआत 1 अप्रैल से करना था लेकिन परिवहन विभाग ने कंट्रोल रुम की स्थापना ही नहीं की। इसलिए इसे एक माह के लिए टाल दिया गया था। अब एक मई से यह अनिवार्य हो जाएगा।
जिले में 12 हजार चार पहिया वाहन
जिले में स्कूल बसें से बड़े छोटे वीकल वाहन करीब 12 हजार है। इन सभी जीपीएस सिस्टम अनिवार्य किया गया है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जीपीएस सिस्टम के लिए कंट्रोल रुम नहीं होने की वजह से वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाने के कार्य को एक माह के लिए स्थगित किया गया है। इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को भी दे दी गई है। अब यह योजना जिले में 1 मई से लागू की जाएगी।
नए वाहनों के मिलेगा 6 माह का समय
उल्लेखनीय है कि जीपीएस सिस्टम वाहनों में लगा है कि नहीं इसकी जांच वाहनों के फिटनेस चेक करते समय किया जाएगा। अगर वाहनों में जीपीएस सिस्टम नहीं लगा है तो उस वाहन का विभाग फिटनेस जारी नहीं करेगा। खास बात यह है कि नए खरीदे विकल की फिटनेस जांच छह माह बाद होगा। इसलिए नए वाहन चालकों को जीपीएस सिस्टम लगाने के लिए पर्याप्त समय रहेगा, लेकिन पुराने वाहनों को तत्काल सिस्टम लगाने के बाद ही फिटनेस प्रमाण पत्र लेना होगा।
मानक को लेकर असमंजस कायम
जीपीएस सिस्टम खरीदने के लिए वाहन मालिकों के सामने दुविधा की स्थिति है। विभाग ने जीपीएस सिस्टम कौन सा लगाया जाए इसे चिन्हित नहीं किया है। उनका कहना है कि बाजार में उपलब्ध जीपीएस सिस्टम 5000 रुपए से शुरू है। परिवहन विभाग मानक के अनरुप नहीं होने के कारण इसे मान्य नहीं कर रहा है। वहीं मानक वाले जीपीएस सिस्टम की कीमत 7 से 14 हजार रुपए तक है। विभाग ने मानक को लेकर कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किया है।
वाहन मालिक भी रख सकते हैं नजर
जीपीएस सिस्टम लगने के बाद वाहनों पर नजर विभाग तो रखेगा ही वाहन मालिक भी मोबाइल सिस्टम से वाहनों पर नजर रख सकेंगे। स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम लगाया जा चुका है। कंट्रोल रुम नहीं होने के कारण स्कूल बसों की निगरानी स्कूल संचालक ही कर रहे हैं।
ट्रेकिंग प्वाइट में लगेगा टावर
अधिकारियों का कहना है कि परिवहन कार्यालय में कंट्रोल रूम तैयार किया जाएगा। कंट्रोल रूम से ही वाहनों की ट्रेकिंग होगी। इसके लिए कंट्रोल रुम में टावर लगाया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि कंट्रोल रुम स्थापित करने स्थल चयन की प्रक्रिया शुरू की गई है।
इसलिए आवश्यक है जीपीएस
कई बार वाहनों की चोरी हो जाती है। सामान लदे वाहनों की चोरी होने से भारी नुकसान होता है। जीपीएस सिस्टम लगे होने से वाहन किस दिशा में है इसे आसानी से ट्रेस किया जा सकता है।
यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से जीपीएस सिस्टम को सुप्रीम कोर्ट ने अनिवार्य किया है। अधिकारियों का कहना है कि जीपीएस सिस्टम होने से अपराध घटित होने पर वे वाहन तक आसानी से पहुंच सकते है।
कई वाहन ऐसे है जो न तो फिटनेस चेक कराते है और न ही परमिट का रिनिवल कराते है। विभाग वाहनों के नबंर के आधार पर यह पता लगा सकती है कि वास्तव में उक्त वाहन चल रही है कि नहीं।
सेटअप नहीं होने के कारण छूट
इस संबंध में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि सभी वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाने का प्रवधान है। सेटअप तैयार नहीं होने के कारण हमने वाहनों को छूट दी है। केवल नेशनल परमिट वाहनों का जीपीएस सिस्टम चेक किया जा रहा है। जिले में 1 मई से जीपीएस सिस्टम को अनिवार्य किया जाएगा।
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