दुर्ग

56 पहियों वाली गाड़ी में 25 दिन का सफर करके सौ टन वजनी भगवान चंद्रप्रभ पहुंचे दुर्ग, स्पेशल क्रेन से वेदी में बिठाने लगे पूरे 7 घंटे

भगवान चंद्रप्रभ की देश की सबसे बड़ी प्रतिमा सोमवार को शिवनाथ तट पर निर्माणाधीन नसिया तीर्थ की वेदी पर स्थापित किया गया। इस प्रतिमा की उंचाई 21.3 फीट और 100 टन है।

दुर्गJul 24, 2018 / 12:06 pm

Dakshi Sahu

56 पहियों वाली गाड़ी में 25 दिन का सफर करके सौ टन वजनी भगवान चंद्रप्रभ पहुंचे दुर्ग, स्पेशल क्रेन से वेदी में बिठाने लगे पूरे 7 घंटे

दुर्ग. भगवान चंद्रप्रभ की देश की सबसे बड़ी प्रतिमा सोमवार को शिवनाथ तट पर निर्माणाधीन नसिया तीर्थ की वेदी पर स्थापित किया गया। इस प्रतिमा की उंचाई 21.3 फीट और 100 टन है। इस विशाल प्रतिमा को मोबाइल क्रेन की मदद से वेदी तक पहुंचाया गया। इसके लिए करीब 7 घंटे मशक्कत करना पड़ा। एक ही पत्थर से बने पद्मासन प्रतिमा को बिजौरिया राजस्थान में तैयार कर 56 पहियों वाले ट्राली के माध्यम से लाया गया।
करीब 1500 किमी. के इस सफर में 25 दिन लगे। श्रीदिगंबर जैन खंडेलवाल पंचायत द्वारा शिवनाथ तट पर करीब 10 एकड़ क्षेत्र में इस तीर्थ का निर्माण कराया जा रहा है। यहां मूल नायक के रूप में भगवान चंद्रप्रभ की पद्मासन प्रतिमा स्थापित रहेगी। इसके अलावा 11-11 फीट की पाश्र्वनाथ और मुनि सुव्रतनाथ की प्रतिमा भी स्थापित होगी।
तीर्थ में सल्लेखना व्रत लेने वाले मुनि आध्यात्म सागर और आर्यिका सुनिर्णयमति की समाधियां भी बनाई जाएगी। तीर्थ में मंदिर का आधार तैयार कर लिया गया है। भगवान चंद्रप्रभ की स्थापना के बाद अब बाकी निर्माण कराया जाएगा।
इस तरह स्थापित हुई प्रतिमा खासियत
सुबह साढ़े 10 बजे प्रतिमा स्थापित करने का काम शुरू हुआ। लोहे के डोरे से प्रतिमा को लपेटकर मोबाइल क्रेन से उठाने का प्रयास किया। खास तरह के पट्टे मंगाए गए। इससे लिफ्ट कर प्रतिमा शाम 5 बजे कमल वेदी में रखा जा सका। दर्जनभर टेक्नीशियन लगे थे।
एक साल में तैयार होगा तीर्थ
आचार्य विद्यासागर और आचार्य विशुद्धसागर की प्रेरणा और मार्गदर्शन में तीर्थ बनाया जा रहा है। मूर्ति पूजक संघ के अध्यक्ष कांतिलाल बोथरा ने बताया कि तीर्थ का निर्माण पूरा होने में करीब एक साल लगेगा। इसके बाद प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई जाएगी।
स्थापना से पहले शोभायात्रा
तीर्थ परिसर में स्थापना से पहले प्रतिमा की शहर में शोभायात्रा निकाली गई। प्रतिमा सोमवार को सुबह ही शहर पहुंची। सरदार बल्लभभाई पटेल चौक से प्रतिमा के स्वागत के साथ शोभायात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग शामिल हुए। शोभायात्रा के साथ प्रतिमा की स्थापना तक नवकार महामंत्र का जाप चलता रहा।
गुरू ने बताया मंत्र तब उठी प्रतिमा
जैन समाज के लोग प्रतिमा को अभी से चमत्कार से जोड़कर देख रहे हैं। मूर्ति पूजक संघ के अध्यक्ष बोथरा ने बताया कि बिजौरिया में प्रतिमा को ट्राली में लोड करने के दौरान भी इसी तरह मशक्कत करना पड़ा। चार क्रेन की मदद से करीब 6 घंटे मेहनत के बाद भी प्रतिमा उठाया नहीं जा सका। इसकी जानकारी आचार्य विशुद्धसागर को दी गई।
प्रतिमा की यह भी खासियत
श्री दिगंबर जैन खंडेलवाल पंचायत के संदीप लुहाडिय़ा ने बताया कि यह पद्मासन में भगवान चंद्रप्रभ की देश की सबसे बड़ी प्रतिमा है। बिना दाग वाले एक ही पत्थर को तराशकर बनाया गया है। उन्होंने बताया कि प्रतिमा निर्माण के लिए पत्थर को तराशने में ही छह माह लग गए। छह माह में 25 कारीगरों ने इस प्रतिमा को तैयार किया।

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