भिलाई नगर निगम क्षेत्र में 20 हजार से अधिक ऐसे परिवार निवासरत हैं जिन्हें वर्ष 1984 के बाद आबादी पट्टा प्रदान किया गया था। 30 वर्ष की अवधि समाप्त हो जाने के बाद वे पट्टे का नवीनीकरण की मांग कर रहे थे। हालांकि इनमें से लगभग 9० फीसदी परिवारों ने अपने पट्टे की जमीन दूसरे को बेच दी है। वर्तमान में काबिज परिवार नवीनीकरण नहीं होने से परेशान हैं। राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय की इस पहल से अब इन हजारों परिवारों का पट्टा नवीनीकरण किया जा सकेगा।
इसके अलावा निगम क्षेत्र के वैशालीनगर, नेहरू नगर, सुपेला, कैंप क्षेत्र, स्मृति नगर, खुर्सीपर, रुआबांधा, मरोदा, जोरातराई आदि क्षेत्रों में करीब 7 हजार ऐसे परिवार हैं जो आबादी क्षेत्र में निवासरत हैं, लेकिन उनके पास पट्टा नहीं है। वर्तमान में आबादी जमीन में काबिज लगभग 7 हजार ऐसे परिवार हैं जिनके पास पट्टा नहीं है उन्हें भी पट्टा प्रदान किया जाएगा।
निगम क्षेत्र में निवासरत लगभग 20 हजार परिवार जिनके पास वर्ष 1984 में प्रदान किया गया पट्टा है उनमें से कई लोगों ने अपना घर दूसरों को बेच दिया है। यह अवैधानिक है। पट्टा दूसरे व्यक्ति के नाम हस्तांतरित नहीं हो सकता। इस पर फैसला किया है कि व्यक्ति अब निर्धारित शुल्क अदा करके पट्टा अपने नाम करा सकेंगे। इसके लिए उसे स्वयं उस आबादी जमीन पर काबिज होना जरूरी है।
भिलाई नगर निगम क्षेत्र में 20 हजार से अधिक ऐसे परिवार निवासरत हैं जिन्हें वर्ष 1984 के बाद आबादी पट्टा प्रदान किया गया था। 30 वर्ष की अवधि समाप्त हो जाने के बाद वे पट्टे का नवीनीकरण की मांग कर रहे थे। हालांकि इनमें से लगभग 9० फीसदी परिवारों ने अपने पट्टे की जमीन दूसरे को बेच दी है। वर्तमान में काबिज परिवार नवीनीकरण नहीं होने से परेशान हैं। राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय की इस पहल से अब इन हजारों परिवारों का पट्टा नवीनीकरण किया जा सकेगा।
पट्टे के अलावा आसपास काबिज जमीन को भी पट्टेधारक के नाम पर बहुत ही कम दर पर नियमित करने पर विचार किया जा रहा है। आवासीय क्षेत्रों में 10 से 20 रुपए और व्यावसायिक क्षेत्र में नियमितीकरण की यह दर 20 से 50 रुपए प्रतिवर्ग फूट हो सकती है। इससे नगर निगम को लगभग 20 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय हो सकती है।
फिलहाल अभी यह फैसला 1984 के पट्टेधारकों के लिए लिया गया है जिनकी 30 साल की अवधि पूरी हो गई है। इसके अलावा 1998 और वर्ष 2000 में भी शहर में पट्टे बांटे गए हैं। तीनों योजनाओं को मिलाकर लगभग 42 हजार पट्टेधारक शहर में बताए जाते हैं जो सरकार के इस फैसले से देर-सबेर लाभान्वित होंगे।