केंद्र सरकार ने सब्सिडी घाटे को कम करने की मंशा से पेट्रोलियम कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों के आधार पर हर माह कीमतों को रिवाइज करने की छूट दे रखी है। इसी के आधार पर पेट्रोलियम कंपनियां हर माह बाजार की समीक्षा कर गैस सिलेंडर की कीमत तय करती है। सामान्य तौर पर इसमें सिलेंडर की कीमतों में 5 से 10 रुपए की घट-बढ़ होती है, लेकिन घाटे का हवाला देकर कंपनियां ३ माह से एकमुश्त बढ़ोतरी कर रही हैं।
गरीब परिवारों को राहत दिलाने के नाम पर सामान्य हितग्राहियों से सब्सिडी सरेंडर कराया गया है। सब्सिडी छोडऩे वाले ऐसे उपभोक्ताओं को कीमतों में बढ़ोतरी से दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। सब्सिडी के साथ 488 रुपए में मिलने वाले सिलेंडर के लिए इन उपभोक्ताओं को करीब 2 गुना कीमत अदा करना पड़ रहा है।
कीमतों में बढ़ोतरी के साथ एलपीजी उपभोक्ताओं को सिलेंडर सप्लाई व सब्सिडी में लेटलतीफी की परेशानी भी झेलनी पड़ रही है। पिछले कुछ दिनों से कुछ एजेंसियों में बुकिंग के बाद छह से सात दिन विलंब से सब्सिडी मिल रही है।
संजय शर्मा संचालक प्रगति गैस एजेंसी ने बताया कि कंपनियों द्वारा हर माह कीमत रिवाइज की जाती है। जुलाई से कीमत लगातार बढ़ रही है। बाजार के रूख से अभी उपभोक्ताओं को राहत की उम्मीद कम है। आगे और भी कीमत बढऩे की संभावना है।