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आजादी की बात – अछूत उद्धार का अलख जगाने 89 साल पहले दुर्ग आए थे बापू, दो दिन रहे और आंदोलन के लिए जुटाए 3400 रुपए

locationदुर्गPublished: Aug 14, 2022 08:38:39 pm

Submitted by:

Hemant Kapoor

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी गुलामी के दौर में 89 साल पहले वर्ष 1933 में दुर्ग आए। यहां उन्होंने छूआछूत के खिलाफ आंदोलन का आगाज किया और वे शहर में दो दिन रहे। इस दौरान उन्होंने एक सभा को संबोधित किया और हरिजनों की बस्ती में जाकर छूआछूत के खिलाफ संदेश दिया।

आजादी की बात - अछूत उद्धार का अलख जगाने 89 साल पहले दुर्ग आए थे बापू, दो दिन रहे और आंदोलन के लिए जुटाए 3400 रुपए

बैथड़ स्कूल, जिसका नाम बदलकर अब सरदार वल्लभ भाई पटेल स्कूल कर दिया गया है, यहीं ठहरे थे बापू

गांधीजी ने हरिजन उद्धार और राष्ट्रीय आंदोलन को आगे बढ़ाने तन, मन व धन से सहयोग की अपील की, तो राशि भेंट करने लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। गांधीजी को इसके करीब 3400 रुपए भेंट में मिले। गांधीजी 22 नवंबर 1933, बुधवार को दुर्ग पहुंचे। गांधीजी डाक गाड़ी से दोपहर 2.45 बजे दुर्ग पहुंचे। यहां पहुंचते ही सबसे पहले वे हरिजन मोहल्ला गए। बस्ती में लोगों से भेंट मुलाकात व खादी का काम देखा। इसके बाद सभा को संबोधित किया। दूसरे दिन 23 नवंबर बैथड स्कूल में बच्चों के साथ बिताया। इसके बाद वे 24 नवंबर को रायपुर रवाना हुए।

सभा में पहुंचे एक लाख लोग
पहले दिन शाम मोती तालाब (मौजूदा मोती काम्पलेक्स इंदिरा मार्केट) के पास गांधीजी ने सभा की। इसमें सभा में एक लाख से ज्यादा लोग जुटे। सभा में शामिल होने के लोग दूर-दराज से बैलगाडिय़ों में सवार होकर पहुंचे थे।

बापू को भेंट किया जेबी घड़ी
सभा स्थल पर बापूजी का स्वागत सूत का माला पहनाकर किया गया। इस दौरान जिले के लोगों की ओर से सम्मान पत्र भेंट किया। भाव अभीभूत रामप्रसाद गुप्ता ने अपनी चेन वाली जेबी घड़ी गांधीजी को भेंट किया। गांधीजी ने यह घड़ी नीलाम कर किसी नेक काम में लगाने की घोषणा की।

बैथड स्कूल में ठहरे गांधीजी
गांधीजी 22 नवंबर को सभा को संबोधित करने के बाद 23 नवंबर को भी दुर्ग में ही रहे। इस दौरान उनके ठहरने के लिए तत्कालिन बैथड स्कूल (वर्तमान सरदार वल्लभ भाई पटेल पूर्व व माध्यमिक शाला) में व्यवस्था की गई। तब यहां हरिजन व सवर्ण बच्चे एक साथ पढ़ते थे। इसलिए गांधीजी ने स्वयं यहां ठहरने की इच्छा व्यक्त की थी।
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