रेत निकासी की अनुमति दी है
गौरतलब है कि शिवनाथ नदी पर पिपरछेड़ी घाट में आर आंड्रयू मनीराज कंपनी को रेत खनन के लिए जिला प्रशासन द्वारा 26 अक्टूबर 2020 को अनुमति जारी की गई है। खसरा क्रमांक 520 के भाग- 4.856 हेक्टेयर में खदान संचालक को सालाना 48 हजार 500 घनमीटर रेत निकासी की अनुमति दी गई है। खदान स्वीकृति के एवज में शासन द्वारा पर्यावरण संरक्षण की शर्ते भी रखी गई है। खदान संचालक द्वारा अनुमति के बाद नियमों को ताक पर रखकर न सिर्फ मनमाने ढंग से नदी में मशीनें उतारकर पानी के भीतर से रेत खनन किया गया, बल्कि पर्यावरण से संबंधित एक भी शर्त का पालन नहीं किया। इस पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने पर्यावरण नियमों का पालन नहीं होने पर लीज स्वत: निरस्त मान लिए जाने का आदेश जारी किया था। इस आदेश के पालन के बजाए ठेकेदार और उसके खदान को बचाने लगातार उपक्रम किया जा रहा है।
गौरतलब है कि शिवनाथ नदी पर पिपरछेड़ी घाट में आर आंड्रयू मनीराज कंपनी को रेत खनन के लिए जिला प्रशासन द्वारा 26 अक्टूबर 2020 को अनुमति जारी की गई है। खसरा क्रमांक 520 के भाग- 4.856 हेक्टेयर में खदान संचालक को सालाना 48 हजार 500 घनमीटर रेत निकासी की अनुमति दी गई है। खदान स्वीकृति के एवज में शासन द्वारा पर्यावरण संरक्षण की शर्ते भी रखी गई है। खदान संचालक द्वारा अनुमति के बाद नियमों को ताक पर रखकर न सिर्फ मनमाने ढंग से नदी में मशीनें उतारकर पानी के भीतर से रेत खनन किया गया, बल्कि पर्यावरण से संबंधित एक भी शर्त का पालन नहीं किया। इस पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने पर्यावरण नियमों का पालन नहीं होने पर लीज स्वत: निरस्त मान लिए जाने का आदेश जारी किया था। इस आदेश के पालन के बजाए ठेकेदार और उसके खदान को बचाने लगातार उपक्रम किया जा रहा है।

याचिका पर हाईकोर्ट ने नियमों का पालन नहीं होने, खनन क्षेत्र के एप्रोच रोड पर 1200 पेड़ नहीं लगाए जाने और स्कूल और अस्पताल के आस-पास 2500 पेड़ नहीं लगाए जाने की सूरत में लीज को स्वत: ही रद्द माने जाने का आदेश जारी किया था। जांच में प्रशासनिक अधिकारियों ने भी पेड़ नहीं लगाए जाने की पुष्टि किया है। इधर हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक लीज निरस्त करने के बजाए पौधरोपण की शर्त पूरा कर खनन जारी रखने की अनुमति दे दी गई।
जनप्रतिनिधि पेड़ नहीं लेकिन बता रहे पौधरोपण
प्रशासन ने ठेकेदार को पर्यावरणीय शर्त के अनुसार नए सीजन में खनन से पहले पौधरोपण की शर्त रखी है। इसके मुताबिक एप्रोच रोड 1200 व स्कूल और अस्पताल के आसपास 2500 पेड़ लगाया जाना चाहिए। एप्रोच रोड में अब तक एक भी पौधा नहीं लगाया गया है। मिडिल स्कूल के पास करीब 50 पौधे पंचायत द्वारा लगाए गए हैं। इसे पंचायत प्रतिनिधि ठेकेदार द्वारा 1300 पौधरोपण किया जाना बता रहे हैं। इसके लिए बकायदा ठेकेदार को सर्टिफिकेट भी दिया गया है।
प्रशासन ने ठेकेदार को पर्यावरणीय शर्त के अनुसार नए सीजन में खनन से पहले पौधरोपण की शर्त रखी है। इसके मुताबिक एप्रोच रोड 1200 व स्कूल और अस्पताल के आसपास 2500 पेड़ लगाया जाना चाहिए। एप्रोच रोड में अब तक एक भी पौधा नहीं लगाया गया है। मिडिल स्कूल के पास करीब 50 पौधे पंचायत द्वारा लगाए गए हैं। इसे पंचायत प्रतिनिधि ठेकेदार द्वारा 1300 पौधरोपण किया जाना बता रहे हैं। इसके लिए बकायदा ठेकेदार को सर्टिफिकेट भी दिया गया है।
ग्रामीण बता रहे वाटर फ्यूरीफायर पुराना
सीएसआर मद से स्कूल में वाटर फ्यूरीफायर लगाने और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार करने का दावा भी किया जा रहा है। पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा इसके लिए भी बकायदा सर्टिफिकेट दिया गया है, लेकिन ग्रामीणों की माने तो वाटर फ्यूरीफायर पुराना है, जिसे संभवत: मंत्री ताम्रध्वज साहू ने अपने संसदीय कार्यकाल में स्कूल को दिया था, जिसे अब फिटिंग कराया गया है। वहीं वाटर हार्वेस्टिंग का गड्ढे भी पुराना व नियमानुसार नहीं है।
सीएसआर मद से स्कूल में वाटर फ्यूरीफायर लगाने और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार करने का दावा भी किया जा रहा है। पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा इसके लिए भी बकायदा सर्टिफिकेट दिया गया है, लेकिन ग्रामीणों की माने तो वाटर फ्यूरीफायर पुराना है, जिसे संभवत: मंत्री ताम्रध्वज साहू ने अपने संसदीय कार्यकाल में स्कूल को दिया था, जिसे अब फिटिंग कराया गया है। वहीं वाटर हार्वेस्टिंग का गड्ढे भी पुराना व नियमानुसार नहीं है।
हाईकोर्ट में याचिका दायर
बालकिशन ठाकुर सरपंच पिपरछेड़ी ने बताया कि रेत खनन को हमारी सहमति नहीं है। शासन ने सीधे खनन की अनुमति दी है। अभी खदान बंद है और पंचायत का इससे कोई लेना देना नहीं है। खनन करने वालों ने एक हजार पौधे लगाए हैं, बस मैं इतना कह सकता हूं। (गांव व एप्रोच रोड में इतनी संख्या में पेड़ नहीं होने के सवाल पर कोई जवाब नहीं दे पाए। दीपक मिश्रा खनिज नियंत्रक दुर्ग ने बताया कि मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका है। इस कारण टीम भेजकर जांच कराई गई थी। टीम ने जांच रिपोर्ट दी है। इसके अलावा सरपंच ने भी लिखकर दिया है। जांच रिपोर्ट व सरपंच का सर्टिफिकेट मेरे पास है। मौके पर पेड़ नहीं है या सरपंच ने गलत लिखकर दिया है तो इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता।
बालकिशन ठाकुर सरपंच पिपरछेड़ी ने बताया कि रेत खनन को हमारी सहमति नहीं है। शासन ने सीधे खनन की अनुमति दी है। अभी खदान बंद है और पंचायत का इससे कोई लेना देना नहीं है। खनन करने वालों ने एक हजार पौधे लगाए हैं, बस मैं इतना कह सकता हूं। (गांव व एप्रोच रोड में इतनी संख्या में पेड़ नहीं होने के सवाल पर कोई जवाब नहीं दे पाए। दीपक मिश्रा खनिज नियंत्रक दुर्ग ने बताया कि मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका है। इस कारण टीम भेजकर जांच कराई गई थी। टीम ने जांच रिपोर्ट दी है। इसके अलावा सरपंच ने भी लिखकर दिया है। जांच रिपोर्ट व सरपंच का सर्टिफिकेट मेरे पास है। मौके पर पेड़ नहीं है या सरपंच ने गलत लिखकर दिया है तो इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता।