खुलकर बोले 6 जिले के नेता
प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी और नगरीय निकाय चुनाव प्रभारी अमर अग्रवाल की मौजूदगी में 6 संगठनात्मक जिले के नेताओं को सुझाव रखने का अवसर दिया गया। पूर्व विधायक कैलाश शर्मा, सुरेंद्र पाटनी, राजेश ताम्रकार, ईश्वर शर्मा, संतोष अग्रवाल, कांशीनाथ शर्मा व रमन यादव सहित एक दर्जन से ज्यादा नेताओं ने सुझाव रखे। लगभग सभी ने टिकट वितरण में भेदभाव व कथित वरिष्ठ नेताओं के एकाधिकार का मामला उठाया।
यह कहा सांसद विजय बघेल ने
अंत में कार्यकर्ताओं की ओर से सांसद विजय बघेल ने भी बातें रखी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय नेतृत्व में 11 सांसदों के टिकट काटकर मैदानी कार्यकर्ताओं को उतारा। इसका सकारात्मक नतीजा सामने आया। इसलिए पुराने पैटर्न से हटकर नए कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाना चाहिए। बैठक के अंत प्रभारी अमर अग्रवाल ने सबकी भावनाओं के अनुरूप टिकट वितरण का भरोसा भी दिलाया।
नाम नहीं लेकिन वरिष्ठों सधा निशाना
बैठक में सुझावों के दौरान भेदभाव, भाई-भतीजावाद, परिवारवाद, बड़े नेताओं के एकाधिकार जैसे कई आरोप लगाए गए। इस दौरान नेताओं व कार्यकर्ताओं ने सीधे तौर पर किसी का भी नाम नहीं लिया, लेकिन अपरोध रूप से निशाना जिले में इससे पहले प्रभावी रहे नेताओं पर रहा। नेताओं ने यहा तक कहा कि लंबे समय से एकाधिकार वाले नेताओं से अब किनारा किया जाना चाहिए।
नियुक्तियों पर भी खिंचाई
सांसद विजय बघेल ने अपने भाषण के दौरान संगठन चुनाव के मद्देनजर की गई नियुक्तियों पर भी जिले के नेताओं की खिंचाई की। बताया जाता है कि सांसद होने के नाते बघेल से भी चुनाव के लिए प्रभारी के रूप में नाम मांगे गए थे, लेकिन उनके नामों को दरकिनार कर सांसद सरोज पांडेय के समर्थकों की नियुक्ति कर दी गई। सांसद बघेल ने कहा कि ऐसी प्रवृत्ति रही तो पार्टी के लिए विपरीत स्थिति बनती रहेगी।
सलाह ठीक पर नहीं बदलेगा पैटर्न
सबसे अंत में प्रभारी अमर अग्रवाल ने बैठक में अपनी बात रही। उन्होंने सुझाव रखने वाले सभी को आला नेताओं के पास रखने और विचार का भरोसा दिलाया, लेकिन उन्होंने बताया कि टिकट चयन का पैटर्न भी इस बार पिछली बार की तरह होगा। पार्षद व निचले स्तर के टिकट जिला स्तर पर तय किए जाएंगे। वहीं महापौर व अध्यक्षों के टिकट प्रदेश स्तर पर तय होगा। जिन टिकटों का फैसले में परेशानी होगी उन्हें अपील समिति के पास भेज दिया जाएगा।