सीनियर माओवादी लीडर पहाड़ सिंह पर सरकार ने 25 लाख का ईनाम घोषित किया था। लंबे समय से पुलिस को उसकी तलाश थी। हर बार सर्च ऑपरेशन के दौरान वह पुलिस और सुरक्षा बल के जवानों को चकमा देकर निकल जाता था। दुर्ग आईजी जीपी सिंह ने बताया कि यह महाराष्ट्र, मप्र और छग की स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य है। हथियार के बिना समर्पण इसलिए किया कि इसके 3 गनमैन सुरक्षा में 24 घण्टे सतर्क रहते थे ।
आईजी ने कहा कि नक्सल लीडर का समर्पण पुलिस की बड़ी सफलता और नक्सल संगठन की विफलता है। इससे न केवल नक्सलियों की कमर टूटेगी बल्कि चुनाव के दौरान उनके आभियानों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। दुर्ग पुलिस इसके सरेंडर को लेकर काफी समय से प्रयास में जुटी हुई थी ।
छत्तीसगढ़ और इससे लगे महाराष्ट्र की सीमा में लगातार आतंक फैलाने वाले कुख्यात माओवादी पहाड़ सिंह के सरेंडर करने की खबरें बुधवार शाम से ही सामने आ रही थी। ऐसा पता चला था कि पहाड़ सिंह ने राजनांदगांव में पुलिस अफसरों के सामने सरेंडर कर दिया।
हालांकि पुलिस के अफसर बुधवार को इस संबंध में कुछ भी कहने से बच रहे थे। सूत्रों के हवाले से खबर मिली थी कि एक दो दिन में पुलिस इस संबंध में कोई बड़ा खुलासा कर सकती है। जिसके बाद पुलिस ने गुरुवार को माओवादी नेता के सरेंडर की पुष्टि कर दी।