55 सालों से चल रही परम्परा
राष्ट्रीय उत्सव समिति की ओर से रविशंकर स्टेडियम में हर साल इसी तरह किसी न किसी संदेश के साथ दशहरा उत्सव मनाया जाता है। वर्ष 1964 में इस परम्परा की शुरूआत हुई। समिति के लिए रावण व अन्य पुतला तैयार करने वाले आनंद तंबोली ने बताया कि करीब 20 सालों से आंतकवाद का पुतला जलाया जा रहा है। पिछले साल पुतला दहन के साथ लोगों को स्वच्छता का संदेश दिया गया था।
पुतले में भी प्लास्टिक नहीं
आनंद तंबोली ने बताया कि इस बार रावण के साथ विशालकाय प्लास्टिक रूपी राक्षस का पुतला तैयार किया जा रहा है। खास बात यह कि उत्सव के दौरान न सिर्फ प्लास्टिक उपयोग नहीं करने का संदेश दिया जाएगा, बल्कि पुतले के निर्माण में भी प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
राम लीला में तीसरी पीढ़ी
शुरूआत में तमेरपारा रामलीला मंचन द्वारा कर्ई दिनों तक रामलीला का मंचन किया जाता था। तब चैतराम ताम्रकार और मंगल ताम्रकार के नेतृत्व में स्थानीय लोग रामलीला में भूमिका निभाते थे। रामलीला का कमान अब तीसरी पीढ़ी के चंद्रदीप ताम्रकार संभाल रहे हैं। रामलीला के सभी पात्र भी तीसरी पीढ़ी के हैं। अब रामलीला केवल प्रतीकात्मक होता है।
तीसरी पीढ़ी बना रही पुतला
दशहरा उत्सव में हर साल 60 फीट ऊंचे रावण का पुतला जलाया जाता है। यह पुतला पिछले 55 साल से तंबोली परिवार बनाता आ रहा है। पुतला बनाने की शुरूआत छबिलाल महोबिया, लक्ष्मीनाथ तंबोली, विष्णु प्रसाद तंबोली ने की थी। अब यह जिम्मेदारी तीसरी पीढ़ी के आनंद तंबोली व परिवार के लोग संभाल रहे हैं।
सांसद वोरा जुड़े है
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रशासनिक महामंत्री व सांसद मोतीलाल वोरा तब शहर की सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हुआ करते थे। दिवंगत डॉ. जगदीश सिंह मिश्रा व सीताराम दुबे का उनसे गहरा जुड़ाव था। तीनों ने मिलकर उत्सव की कल्पना की। इसके बाद समिति में मोहम्मद इलिहास, मदनलाल बाकलीवाल, निहाली प्रसाद देवांगन, भंवरलाल जैन आदि भी जुड़े।