जलाशयों से पानी सप्लाई के एवज में नगर निगम को जल संसाधन विभाग को 10 करोड़ 12 लाख रुपए भुगतान करना है। जल संसाधन विभाग द्वारा इसके लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है। दूसरी ओर शासन की ओर से नगरीय प्रशासन विभाग ने जल कर की राशि जल संसाधन विभाग में जमा कराने 2 किस्तों में नगर निगम को 4 करोड़ 61 लाख रुपए दिए हैं। पहली बार इंटरनल ऑडिट में बकाया के खुलासे के बाद 28 मार्च को 2018 को 3 करोड़ 1 लाख 66 हजार और दूसरी बार 5 जनवरी 2019 को 1 करोड़ 59 लाख 60 हजार रुपए नगर निगम को हस्तांतरित किया गया, लेकिन निगम के अफसरों ने यह राशि जल संसाधन विभाग को अब तक जमा नहीं कराया है।
पत्रिका ने अधिकारियों द्वारा राशि दबाए रखने का खुलासा करते हुए 6 मार्च को विस्तारपूर्वक समाचार प्रकाशित किया। इस पर प्रभारी संजय कोहले व निगम कमिश्नर हरेश मंडावी दोनों ने संज्ञान लिया है। कोहले ने पत्रिका के खबर का हवाला देते हुए अन्य मद में खर्च व ब्याज के लिए जमा रखने की संभावना जताते हुए संबंधितों से वसूली की भी मांग की है।
इधर मामले के खुलासे के बाद संबंधित विभागों के अधिकारियों ने भी पड़ताल शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक जलगृह विभाग के अधिकारियों ने प्रभारी के निर्देश पर फाइलें भी खंगाली, लेकिन वहां शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई राशि के संबंध में कोई भी जानकारी नहीं मिली। ऐसे में अब संदेह की सुई एकाउंट सेक्शन पर आकर रूक गई है। माना जा रहा है कि एकाउंट सेक्शन से ही राशि संबंधित विभाग को नहीं भेजी गई है।