scriptप्याज पर दिखने लगा केंद्र के कृषि बिल का असर, व्यापारिक स्टोरेज सीमा खत्म की तो दोगुने बढ़ गए दाम, जमकर हो रही मुनाफाखोरी | Onions sold at double the price in the market, difficult to buy | Patrika News

प्याज पर दिखने लगा केंद्र के कृषि बिल का असर, व्यापारिक स्टोरेज सीमा खत्म की तो दोगुने बढ़ गए दाम, जमकर हो रही मुनाफाखोरी

locationदुर्गPublished: Oct 26, 2020 05:02:19 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

केंद्र सरकार ने कृषि बिल पास कर कृषि उपज के व्यापारिक स्टोरेज की सीमा खत्म कर दी है। इसका असर अब बाजार में प्याज की कीमत में दिख रहा है। बीस दिन पहले तक 30 से 35 रुपए किलो बिकने वाली प्याज 80 रुपए किलो में बिक रही है।

प्याज पर दिखने लगा केंद्र के कृषि बिल का असर, व्यापारिक स्टोरेज सीमा खत्म की तो दोगुने बढ़ गए दाम, जमकर हो रही मुनाफाखोरी

प्याज पर दिखने लगा केंद्र के कृषि बिल का असर, व्यापारिक स्टोरेज सीमा खत्म की तो दोगुने बढ़ गए दाम, जमकर हो रही मुनाफाखोरी

दुर्ग. केंद्र सरकार ने कृषि बिल पास कर कृषि उपज के व्यापारिक स्टोरेज की सीमा खत्म कर दी है। इसका असर अब बाजार में प्याज की कीमत में दिख रहा है। बीस दिन पहले तक 30 से 35 रुपए किलो बिकने वाली प्याज 80 रुपए किलो में बिक रही है। गोदामों से आवक कम होने के कारण डिमांड के अनुरूप खुले बाजार में प्याज नहीं पहुंच रही है। खुदरा व्यापारी भी इसका बेजा फायदा उठा रहे है। थोक से लेकर चिल्हर में व्यापारी अपने-अपने हिसाब मुनाफा जोड़कर प्याज बेच रहे हैं।
जिले में प्याज की शार्टेज की स्थिति करीब महीनेभर से चल रही है। इससे पहले तक प्याज चिल्हर बाजार में केवल 30 से 35 रुपए किलो तक बिक रही थी। बाजार में महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश से पर्याप्त मात्रा में प्याज की आवक हो रही थी। कृषि बिल के बाद स्टोरेट की लिमिट खत्म कर दिए जाने के कारण इसकी आवक घटनी शुरू हो गई और सितंबर के मध्य से प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हुई। सितंबर की अंत में प्याज की कीमत करीब 30 से 35 रुपए तक पहुंच गया था।
प्याज अब सरकारी नियंत्रण से मुक्त
केंद्र के कृषि संशोधन बिल के मुताबिक अब अन्य कृषि उपज की तरह व्यापारी व किसान जितना चाहे प्याज को भी भंडारित कर रख सकता है। इस तरह यह अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से भी बाहर चला गया है, लिहाजा अब इसके भंडारण व बिक्री पर प्रत्यक्ष रूप से सरकारी नियंत्रण भी खत्म हो गया है। इससे पहले व्यापारियों के लिए प्याज के स्टॉक की लिमिट अधिकतम एक हजार क्विंटल थी।
कंट्रोल में बेचनी पड़ी थी प्याज
इससे पहले वर्ष 2015 में भी बारिश के कारण महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में प्याज की फसल खराब हो गई थी। इसका असर स्थानीय बाजार पर पड़ा था। तब खुले बाजार में प्याज की कीमत 120 रुपए किलो तक पहुंच गई थी। तब सरकारी निगरानी में राशन दुकानों में प्याज की बिक्री करानी पड़ी थी।
पिछले साल बिकी 60 रुपए किलो
जिले में प्याज का शार्टेज पिछले साल भी रहा। तब शुरूआत में चिल्हर बाजार में यह केवल 8 से 10 रुपए किलो बिक रहा था। इस समय तक बाजार में स्थानीय उपज भी पहुंच रहा था। इसकी समाप्ति के साथ ही पिछले जुलाई-अगस्त से प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हुई और कीमत 55 से 60 रुपए किलो तक पहुंच गया था।
सरकार ने दिए निगरानी के निर्देश
प्याज की लगातार बढ़ती कीमत को देखते हुए प्रदेश सरकार ने कलेक्टरों को इसकी निगरानी के निर्देश दिए हैं। इस आदेश के बाद जिले में थोक व्यापारियों से संपर्क कर सप्लाई को बनाए रखने कहा जा रहा है। दूसरी ओर अफसरों का यह कहना है कि मौजूदा स्थिति में भंडारण के बाद भी व्यापारियों पर बिक्री के लिए दबाव बना पाना मुश्किल है।
बारिश के कारण भी फसल खराब
दूसरी ओर महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश को भी प्याज के शॉर्टेज का कारण बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक डेढ महीनें में महाराष्ट्र में जमकर बारिश हुई है। इसके कारण प्याज की फसल खराब हो गई है। फसल खराब होने से महाराष्ट्र की मंडियों में भी प्याज की आवक कम हो रही है। महाराष्ट्र के लासलगांव से यहां ज्यादातर प्याज की सप्लाई होती है।
जिले में प्याज की जरूरत व आवक
जिले में हर दिन प्याज की खपत करीब 8 से 9 ट्रक
दुर्ग भिलाई में खपत 80 से 90 टन।
सामान्य स्थिति में आवक होती है 8 से 10 ट्रक
फिलहाल जिले में आ रही है 4 से 5 ट्रक
यहां से आता है जिले में प्याज
राज्य – महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक।
पुराना प्याज – लासलगांव (नासिक), अहमदनगर, कोल्हापुर, कुल खपत का करीब 80 से 85 फीसदी।

मुनाफाखोरी रोकने का किया जा रहा प्रयास
पूर्व अध्यक्ष, दुर्ग थोक फल एवं सब्जी व्यापारी संघ नासिर खोखर ने बताया कि दुर्ग जिले में अधिकतर प्याज महाराष्ट्र के नासिक से आता है। महाराष्ट्र में इस बार बारिश के कारण फसल खराब हुई है। इसके अलावा व्यापारियों के पास भंडारण की लिमिट खत्म कर दी गई है। इससे जमाखोरी की भी आशंका है। फिलहाल प्याज की कीमत से राहत की उम्मीद कम ही है। सीपी दीपांकर खाद्य अधिकारी दुर्ग ने बताया कि शासन के निर्देश पर ऐसे मामलों में मूल्य नियंत्रण अथवा निगरानी में बिक्री के उपाय किए जाते हैं। पूर्व में ऐसे कदम उठाए गए हैं। शासन की ओर इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं। निर्देश के मुताबिक व्यापारियों से समन्वयक कर अधिक कीमत अथवा मुनाफाखोरी जैसी स्थिति को रोकने का प्रयास किया जाएगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो