सडऩे व अंकुरण का खतरा
किसानों ने 40 फीसदी फसल काट लिया है, लेकिन किसी कारणवश खलिहान तक नहीं ला पाए हैं, ये खेत में करपा के रूप में है। कई किसानों ने थ्रेसर से मिंजाई के लिए खेतों में भी धान का भंडारण कर रखा है। बारिश में यह धान भीग गया है। इससे बालियों के सडऩे व अंकुरण का खतरा बढ़ गया है। तत्कालिक तौर पर जमीन गीली होने से धान को उठाना और मिंजाई भी संभव नहीं है।
खुले में भंडारण की मजबूरी
कई किसानों ने हार्वेस्टर व थ्रेसर जैसी मशीनों का उपयोग कर धान की कटाई व मिंजाई करा लिया है। धान खरीदी शुरू होने की स्थिति में ये सीधे उपज सोसायटियों में ले जाकर बेंच देते थे, लेकिन इस बार खरीदी शुरू नहीं होने के कारण खलिहानों में खुले आसमान के नीचे भंडारित करने मजबूर है। इसे बारिश से बचाने किसानों को मशक्कर करनी पड़ रही है।
कटाई व मिंजाई भी पिछड़ जाएगा
जिले में अभी भी 60 फीसदी यानि 80 हजार हेक्टेयर की कटाई बांकी है। खेतों में पानी होने और जमीन गीली होने से इनकी तात्कालिक कटाई संभव नहीं होगा। इससे कटाई का काम पिछड़ जाएगा। वहीं किसी तरह कटाई भी कर लिया गया तो जमीन गीली होने की वजह से खलिहानों में मिंजाई संभव नहीं है। ऐसे में अब कटाई और ङ्क्षमजाई दोनों का काम पिछड़ जाएगा।
धमधा-पाटन में जमकर बरसे बदरा
अचानक बदले मौसम के बाद सोमवार को धमधा और पाटन में बादल जमकर बरसे। अकेले धमधा में चंद घंटे में 22.8 मिमी बारिश दर्ज की गई। वहीं पाटन में भी 20 एमएम बारिश हुई। बारिश के मामले में दुर्ग ब्लाक के किसानों को थोड़ी राहत रही। यहां करीब 13 एमएम बारिश दर्ज की गई। किसानों के लिए राहत की बात यह रही कि दोपहर 12 के बाद बारिश नहीं हुई और मौसम भी साफ रहा।