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दुर्ग

पत्रिका अमृतं जलम्, संकट में है शिवनाथ इसे बचाने आप भी बढ़ाएं हाथ, कल महमरा में शुरू होगा सफाई का महाअभियान

दुर्ग के महमरा घाट में नदी की सफाई के लिए लोग सुबह सात बजे से एकत्रित होंगे। इस अभियान में आस-पास के ग्रामीण, जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारियों को शामिल होंगे।

दुर्गMay 18, 2019 / 11:54 am

Dakshi Sahu

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पत्रिका अमृतं जलम्, संकट में है शिवनाथ इसे बचाने आप भी बढ़ाएं हाथ, कल महमरा में शुरू होगा सफाई का महाअभियान

दुर्ग/बालोद/बेमेतरा/कवर्धा/राजनांदगांव. दुर्ग संभाग में साल-दर साल भू-जल का स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। बारिश कम होने व भू-जल संरक्षण के दिशा में कोई पहल नहीं होने से हर साल पेयजल व निस्तारी की समस्या विकराल होती जा रही है। जिस गति से जिले में भू-जल का दोहन हो रहा है, हालात ऐसे ही रहे तो पानी के लिए हाहाकार मच सकता है। पानी की समस्या एक विकराल समस्या है। जल की जरुरतों को पूरा करने के लिए नदी-जलाशयों और भू-जल स्त्रोतों का दोहन तो हो रहा है, लेकिन जल संरक्षण व एकत्रीकरण के लिए जमीनी स्तर पर उपाय की जरुरत है।
रविवार को पत्रिका महमरा घाट पर चलाएगा सफाई अभियान
जल संकट के इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेते हुए पत्रिका अमृतं-जलम् अभियान के तहत राजनांदगांव के ईरा के शिवनाथ नदी में सिल्ट सफाई का अभियान शुरु कर रहा है। वहीं दुर्ग के महमरा घाट में नदी की सफाई के लिए लोग सुबह सात बजे से एकत्रित होंगे। इस अभियान में आस-पास के ग्रामीण, जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी शामिल होंगे। पत्रिका सामाजिक सरोकार के तहत शिवनाथ की सफाई का महाअभियान शुरू किया जा रहा है। इसी तरह से बालोद, बेमेतरा और कबीरधाम जिलों में भी स्थानीय स्तर पर जल स्त्रातों तालाब, नदी की सफाई की जाएगी।
जल संरक्षण के लिए हमें करने होंगे ये काम

1 वर्षा जल का हो अधिकतम उपयोग
भू-जल और जलाशयों में जलस्तर बढ़ाने में वर्षा जल अहम भूमिका निभा सकता है। एक अनुमान के अनुसार जल संरक्षण की कोई ठोस नीति नहीं होने के कारण बारिश का लगभग 65 प्रतिशत जल बेकार बह जाता है। जल संचयन कर वर्षा जल के माध्यम से जहां भूजल स्तर बढ़ाया जा सकता है। वहीं एकत्र जल का इस्तेमाल जनजीवन व खेती -बाड़ी के लिए किया जा सकता है। इसके लिए खेतों में तलाई बनाने और भवनों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अपनाने पर बल देना होगा। नदी, तालाबों, कुओं बावडियों आदि जलश्रोतों की नियमित देखभाल व संरक्षण हो।
2 .जल का महत्व समझें, जरुरत जितना ही उपयोग करें
अधिकांश लोग जल के महत्व को दरकिनार कर इसे व्यर्थ ही बहने देते हैं। यदि आमजन अपने नित्यकर्म, आदतों और कार्य प्रबंधन में जल संचय की दृष्टि से थोड़ा बदलाव करलें तो काफी सारा पानी बेकार होने से बचाया जा सकता है। कृषि में भी बूंद-बूंद सिंचाई या फौव्वारा प्रणाली के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा सकता है। उद्योगों में भी मितव्ययता की जाए।
3. फिर से इस्तेमाल होना हो सुनिश्चित
इस्तेमाल हुए जल का परिशोधन कर उसका फिर से विभिन्न कार्यों में उपयोग जल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। उद्योगों में बड़े स्तर पर काम आने वाला जल व्यर्थ बहा दिया जाता है। यह जल परिशोधन होकर खेती-बाड़ी, साफ-सफाई आदि कार्यों में काम में लिया जा सकता है।
पत्रिका पेयजल की समस्या व निराकारण को लेकर लगातार कर रहा काम, इस साल फिर जुटेंगे लोग
पत्रिका दुर्ग संभाग में पेयजल की समस्या व निराकरण को लेकर लगातार समाचार प्रकाशित कर शासन -प्रशासन को अवगत करते आ रहा है। पत्रिका शिवनाथ नदी में बने एनीकटों सफाई नहीं होने से जल भराव नहीं होने की समस्या लगातार प्रकाशित कर रहा है। इसके अलावा ईरा शिवनाथ नदी से समूह नल जल योजना के तहत 28 करोड़ खर्च के बाद पानी नहीं मिलने की समस्या को भी सामने लाया है। यहां पर शिवनाथ नदी में सिल्ट की वजह से पानी रुकने के बजाय बह जाता है। इस समस्या को लेकर ग्रामीण भी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर सिल्ट निकालने की मांग कर चुके हैं। सिल्ट की सफाई होने के बाद ही यह योजना सफल होगी।
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