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MNREGA – तकनीकी कर्मी हड़ताल 45 दिन से हड़ताल पर, 45 हजार से ज्यादा श्रमिकों का भुगतान अटका

locationदुर्गPublished: May 22, 2022 08:07:09 pm

Submitted by:

Hemant Kapoor

मनरेगा के संविदा तकनीकी कर्मियों की हड़ताल का खामियाजा श्रमिकों को उठाना पड़ रहा है। योजना के तहत श्रमिकों को अधिकतम 15 दिन में मजदूरी भुगतान कर देने का प्रावधान है, लेकिन तकनीकी कर्मियों की हड़ताल के कारण करीब 25 फीसदी श्रमिकों की मजदूरी का भुगतान समय पर नहीं हो पा रहा है। इसका असर श्रमिकों के दैनिक जीवन पर पड़ रहा है।

MNREGA - तकनीकी कर्मी हड़ताल 45 दिन से हड़ताल पर, 45 हजार से ज्यादा श्रमिकों का भुगतान अटका

मनरेगा के तकनीकी कर्मी 45 दिन से हड़ताल पर चल रहे हैं

मनरेगा के तहत हर जरूरतमंद ग्रामीण परिवार को रोजगार उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है। इसी के तहत रोजगार की उम्मीद में जिले के 1 लाख 1 हजार 855 परिवारों ने पंजीयन कराया है। हर बार की तरह इस बार भी खेती से फारिग होने के बाद जनवरी में जिले में मनरेगा का कार्य शुरू कर दिए गए थे। शुरूआत में ही मनरेगा में बड़ी सख्या में श्रमिक पहुंच रहे थे, लेकिन अब तकनीकी कर्मियों का हड़ताल इसमें बाधक बन रही है। तकनीकी कर्मियों के हड़ताल से न सिर्फ काम प्रभावित है, बल्कि भुगतान भी अटक रहा है।

इस तरह समझे स्थिति को
मनरेगा कर्मियों की हड़ताल 4 अप्रैल से चल रही है। इससे पहले 31 मार्च की स्थिति में राज्य में 96.72 प्रतिशत मस्टर रोल का भुगतान तय समय सीमा में हो रहा था। यह स्थिति 20 मई को 71.21 प्रतिशत हो गई है। इसी तरह जिले में हड़ताल से पहले भुगतान की स्थिति शत-प्रतिशत थी, लेकिन अब यह 75 फीसदी के करीब है।

यह अधिनियम में प्रावधान
महात्मा गांधी नरेगा अधिनियम 2005 की धारा 3 (3) के अनुसार श्रमिकों को साप्ताहिक आधार पर और मस्टर रोल को बंद करने की तारीख से 15 दिनों के भीतर हरहाल भुगतान किया जाना है। यदि मस्टर रोल को बंद करने की तारीख से पंद्रह दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो जिम्मेदार पर कार्रवाई के साथ काम मांगने वाले को मुआवजा देने का प्रावधान है।

45 हजार से ज्यादा श्रमिक
जिले में मनरेगा में फिलहाल करीब 45 हजार श्रमिक काम कर रहे हैं। हड़ताल से पहले यह संख्या 53 हजार से ज्यादा थी। हड़ताल के बाद काम लगभग बंद हो गए थे। जिसे बाद में पंचायतों के स्थानीय कर्मियों की मदद से शुरू कराया गया। इस लिहाज से फिलहाल स्थिति काफी सुधर गई है, लेकिन भुगतान में देरी के कारण करीब 25 फीसदी कर्मियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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