लॉकडाउन में बेधड़क उचित मूल्य की दुकान से मिलने वाले चावल की तस्करी की जा रही है। खाद्य विभाग कार्रवाई करना तो दूर बिना जंाचे ही पीडीएस के चावल को पहचानने से इनकार कर रहा। पुलिस पीडीएस चावल संदेह कर पकड़ती है। खाद्या विभाग लीपापोती कर कह देता है पीडीएस के समतुल्य नहीं है।
दुर्ग सीएसपी विवेक शुक्ला के नेतृत्व में पूर्व में चावल तस्करों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 10 जनवरी को 2021 को 250 क्विंटल पीडीएस चावल पकड़ा था। अग्रवाल फर्म नीरज ट्रेडर्स धमधा रोड के संचालक नीरज अग्रवाल की ट्रक को पकड़ा था। खाद्य विभाग ने उसे पीडीएस चावल माना और आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3, 7 के तहत उसे खिलाफ कार्रवाई की थी। आखिर 20 क्विंटल चावल पकड़ाया पीडीएस का मानने सा इनकार कर रहा है। अधिकारी कह रहे हैं दुकान में नहीं पकड़ाया है। पिछला एक ट्रक चावल भी दुकान में नहीं पकड़ाया था फिर उसमें कार्रवाई किस आधार पर की गई।
विवेक शुक्ला, सीएसपी दुर्ग ने बताया कि संदेह के आधार पर पीडीएस की चावल से भरी दो गाडिय़ों को रात में पुलिस ने पकड़ा था। उसकी जब्ती की गई और खाद्य विभाग को प्रतिवेदन सौपा गया है। आगे की कार्रवाई करना उनका विवेकाधिकार है। खाद्य विभाग रिपोर्ट दे उस आधार पर कार्रवाई होगी। पीडीएस चावल की तस्करी के मामले में अंकुश लगाने पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। पूर्व में कई बार कार्रवाई की जा चुकी है।
राइस मिल में मिलिंग के लिए धान ले जाया जाता है यह समझ में आता है। क्योंकि वहां धान की मिलिंग होती है। मिलिंग के बाद वहां से चावल गोदामों में पहुंचाया जाता है। यहां उल्टी गंगा बह रही है। बाहर से चावल राइस मिल में पहुंचाया जा रहा है। अब चावल का फिर से धान तो बनेगा नहीं। साफ है कुछ गड़बड़ है पर अधिकारी जांच करने की बजाए हाथ खड़ कर रहे हैं।
असल में राशन दुकान से मिलने वाला चावल मोटा होता है। सच्चाई यह है कि अधिकांश कार्डधारी राशन दुकान से चावल लेने के बाद 15-16 रुपए में बेच देते हैं। चावल को राशन दुकान वाले भी खरीद लेते हैं। इसमें कुछ पैसे मिलाकर अच्छा चावल खरीद लेते हैं। जो लोग इस चावल को खाते हैं उनमेें से अधिकांश लोग चावल को हालर मिल में ले जाकर एक बार फिर मिलिंग करवाते हैं। थोड़ी पॉलिस होने से चावल की क्वालिटी अच्छी हो जाती है। राशन दुकान से छुड़ा कर बेचा गया चावल राइस मिलों में जाता है। वहीं एक बार फिर मिलिंग कर बाजार में अधिक दाम में बेचा जाता है। अलग मिलिंग नहीं भी हुई तो उसी चावल को मिलर कस्टम मिलिंग के बदले नान को देता है। उसी चावल को नान के अधिकारी फिर राशन दुकानों में पहुंचा देते हैं। इस तरह रिसाइकिलिंग चलते रहता है। बेहतर होता कि सरकार चावल की क्वालिटी सुधार कर राशन कार्डधारियों को दे तो कालाबाजारी काफी हद तक रुकेगा। क्वालिटी ठीक होने से लोग चावल को खाएंगे।
सवाल- जेवरा में पुलिस ने पीडीएस चावल के संदेह में पकड़कर खाद्य विभाग को सौप दिया। क्या कार्रवाई की जा रही है?
जवाब- हां। पुलिस ने दो गाड़ी को पकड़ा है। एफओ वसुधा गुप्ता और निरीक्षक सुरेश साहू को जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
सवाल- पुलिस कह रही कि खाद्य विभाग की टीम ने रिपोर्ट दिया है कि पीडीएस चावल के समतुल्य नहीं है। क्या यह सही है?
जवाब- देखिए ऐसा है कि चावल देखने से समझ आ जाता है। नहीं होगा इसलिए रिपोर्ट में दिया होगा।
सवाल-पीडीएस का चावल दूसरे संस्थानों में नहीं मिलता है। बावजूद विभाग ने बड़ी जल्दी क्लीनचिट दे दी।
जवाब- ऐसा है पुलिस पकड़ लेती है। लेकिन हम उसी को पीडीएस मानेंगे जो उचित मूल्य की दुकान के पास पकड़ाएगा।
सवाल- राइस मिल में धान की मिलिंग होती है। फिर वहां चावल क्यों ले जाया जाता है?
जवाब- देखिए यह जांच का विषय है। हमारे पास किसी कार्डधारी ने चावल नहीं मिलने की शिकायत नहीं की है।