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जीवित रहते जिस मुक्तिधाम के जीर्णोद्धार में किया परिश्रम, वहीं पहुंचा बैकुंठी, पढि़ए प्रेमचंद कांकरिया की कहानी

locationदुर्गPublished: Feb 19, 2020 04:26:43 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

समाज सेवी शिवपारा निवासी प्रेमचंद कांकरिया (65) का मंगलवार को देवलोक गमन हो गया। संसार से विदा लेने से पहले उन्होंने साधु मार्गीय रास्ता चुना और विधि विधान के साथ जैन संतो की उपस्थिति में संथारा लिया।

जीवित रहते जिस मुक्तिधाम के जीर्णोद्धार में किया परिश्रम, वहीं पहुंचा बैकुंठी, पढि़ए प्रेमचंद कांकरिया की कहानी

जीवित रहते जिस मुक्तिधाम के जीर्णोद्धार में किया परिश्रम, वहीं पहुंचा बैकुंठी, पढि़ए प्रेमचंद कांकरिया की कहानी

दुर्ग. समाज सेवी शिवपारा निवासी प्रेमचंद कांकरिया (65) का मंगलवार को देवलोक गमन हो गया। संसार से विदा लेने से पहले उन्होंने साधु मार्गीय रास्ता चुना और विधि विधान के साथ जैन संतो की उपस्थिति में संथारा लिया। मंगलवार को सुबह 10.30 बजे वे इस लोक से हमेशा के लिए विदा हो गए। गांधी चौक स्थित कुशल ज्वेलर्स के संस्थापक प्रेमचंद कांकरिया की पहचान समाज सेवी के रुप में थी।
संथारा लेने के बाद उनके निवास में संतों व जैन समाज के लोगों को जमावड़ा लगा था। दिवंगत प्रेमचंद ने अपने जीवन काल में हरनाबांधा मुक्तिधाम के लिए न केवल दान दिया, बल्कि उन्होंने मुक्तिधाम के जीर्णोधार के लिए भी प्रयास किया। आसपास के क्षेत्र में हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए उन्होंने विशेष पहल की थी। संथारा के बाद दोपहर 3 बजे हरनाबांधा मुक्तिधाम में उनका विधिवत अंतिम संस्कार किया गया। वे ताराचंद शांतिलाल कांकरिया के भ्राता और आशीष व अंकुश के पिता थे।
महावीर के जय घोष के साथ निकली बैकुंठी
संथारा लेने के बाद दिवंगत प्रेमचंद कांकरिया का बैकुंठी निकाली गई। बैकुंठी निवास स्थान से गांधी चौक, मोती कॉम्पलेक्स, इंदिरा मार्केट, लुचकी चौक होते हरनाबांधा मुक्तिधाम पहुंची। इस दौरान बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग बैकुंठी में भगवान महावीर के जयघोष के साथ शामिल हुए।

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