पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि जेल के अंदर बने बैरक में कैदियों और बंदियों पर नजर गुर्गे रखते हैं। जेल प्रहरी बाहर से बैरक की निगरानी करते हंै। बैरक के आसपास के क्षेत्र में वहां रहने वाले प्रभावशाली व्यक्ति के गुर्गो क ा ही दबदबा रहता है। उनके इशारे पर ही सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। इसके एवज में बंदी ही कलकेक्शन करते हैं और बाद में उस राशि को जेल के अधिकारियों तक पहुंचाने की बात कहते हैं। रुपए देने पर खाना से लेकर सोने व अन्य सुविधाएं बैरक में उपलब्ध कराया जाता है।
जेल के अंदर से गैंग संचालित करने वाले तपन के मोबाइल से हुई बातचीत की सूची बनाई तो पुलिस भी हैरान रह गई। सूची में शामिल शहर के नामी स्कूल संचालक का नाम है। तपन से इसलिए फोन पर बात हुई कि उसके परिवार के सदस्य का कातिल सेंट्रल जेल में निरुद्ध है। उन्होंने तपन से केवल इतना ही कहा कि जेल में निरुद्ध आरोपी को चैन से न रहने दिया जाए। हालाकि इस काम के लिए कितने रुपए लिए इसका खुलासा नहीं हुआ है।
दुर्ग सेंट्रल जेल में 1700 से अधिक बंदी निरुद्ध है। इसमें नक्सली से लेकर देश के पहले ट्रेन हाईजेक करने वाले खूंखार अपराधी उपेन्द्र सिंह उर्फ कबरा के अलावा गैंगस्टर तपन १३ साथियों के साथ जेल में निरुद्ध है।
तपन के तार केवल प्रदेश की राजधानी नहीं बल्कि दिल्ली से भी जुड़े है। इस बात का खुलासा होते ही पुलिस की एक टीम दिल्ली में है। दो दिन से दिल्ली में गैंगस्टर के गुर्गो की तलाश में लगी है। पुलिस के मुताबिक अनिश गोपालन वर्तमान में दिल्ली में है।
पुलिस के मुताबिक तपन जेल के अंदर भी अपना कारोबार चला रहा है। वहां गवाहों का बयान बदलवाने, व्यापारियों से वसूली करना, दो पक्षों के मारपीट को जेल के बाहर ही डरा धमका कर सुलह कराना उसके काम में शामिल है। पुलिस का अनुमान है कि इस तरह तपन हर माह करीब ५० लाख रुपए की कमाई करता है।