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मदद की दरकार: साहब हम तो रोज कमाने खाने वाले, कुछ लोगों ने राशन दिया अब वो हो गया खत्म, अब क्या करें

locationदुर्गPublished: Apr 09, 2020 01:09:12 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

कोरोना वायरस में लॉकडाउन के चलते शहर में कई ऐसे घर है जिनकी आंखों में कोरोना से ज्यादा भूख का भय है। क्योंकि इन घरों में रोज कमाने खाने वाले हैं। (corona lockdown in chhattisgarh)

मदद की दरकार: साहब हम तो रोज कमाने खाने वाले, कुछ लोगों ने राशन दिया अब वो हो गया खत्म, अब क्या करें

मदद की दरकार: साहब हम तो रोज कमाने खाने वाले, कुछ लोगों ने राशन दिया अब वो हो गया खत्म, अब क्या करें

नाहिद शेख @दुर्ग. कोरोना वायरस (Coronavirus in chhattisgarh) में लॉकडाउन के चलते शहर में कई ऐसे घर है जिनकी आंखों में कोरोना से ज्यादा भूख का भय है। क्योंकि इन घरों में रोज कमाने खाने वाले हैं। कोई रिक्शा वाला है तो कोई घरों और दुकानों पर झाड़ू पोंछा करके अपना गुजारा करते हैं। कोई विधवा है तो कोई बेसहारा है। इन सबके सामने लॉकडाउन में भूखे मरने की नौबत आ गई है।
नहीं मिला रहा राहत सामग्री
शुरुआती दिनों में कुछ लोगों ने सहायता की परंतु अब कहीं से कोई भी मददगार नहीं पहुंच रहा है। यह पीड़ा है दुर्ग शहर श्रीशिवम मॉल के पीछे हरना बांधा की निचली बस्ती में रहने वाले चालीस परिवारों की। यहां करीब चालीस परिवार निवास करते हैं। लॉकडाउन ने इनकी रोजी-रोटी छिन रखा है। इन्हें राहत सामग्री की बेहद आवश्यकता है।
मदद की दरकार: साहब हम तो रोज कमाने खाने वाले, कुछ लोगों ने राशन दिया अब वो हो गया खत्म, अब क्या करें
प्रशासन भी बेखबर
यूं तो कोरेाना लॉकडाउन में गरीबों तक राशन पहुंचाने के लाख दावे किए जा रहे हैं। लेकिन जिन्हें जरूरत हैं उन तक ही सराकरी मदद समय पर नहीं पहुंच पा रही है। लोगों ने निगम और कलेक्टर से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि साहब हमें भुखमरी से बचा लो। बीमारी से तो बाद में मरेंगे पहले हम भुखमरी से ही मर जाएंगे। इस वार्ड में अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने भी मदद का हाथ नहीं बढ़ाया है। इनकी सहायता के लिए न शासन प्रशासन के लोग पहुंच रहे हैं न समाजसेवी की नजर इन पर पड़ी है। पत्रिका के फोटो जर्नलिस्ट नाहिद शेख की पहल से दुर्ग के रक्षक वाट्सअप गु्रप के सदस्यों ने परिवार को आज दोपहर का खाना उपलब्ध कराया है।

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