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भाजपा-कांग्रेस के खिलाफ बागी एकजुट, शहर की सत्ता की जंग में पहली बार बना तीसरा मोर्चा, फंसाएंगे महापौर का पेंच

locationदुर्गPublished: Dec 11, 2019 10:53:07 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

दुर्ग शहर की सत्ता की जंग में भाजपा व कांग्रेस को इस बार बागियों व निर्दलीयों के संयुक्त मोर्चेबंदी का सामना करना पड़ सकता है। इससे महापौर का पेंच फंसाने की तैयारी है। (Durg News)

भाजपा-कांग्रेस के खिलाफ बागी एकजुट, शहर की सत्ता की जंग में पहली बार बना तीसरा मोर्चा, फंसाएंगे महापौर का पेंच

भाजपा-कांग्रेस के खिलाफ बागी एकजुट, शहर की सत्ता की जंग में पहली बार बना तीसरा मोर्चा, फंसाएंगे महापौर का पेंच

दुर्ग. शहर की सत्ता की जंग में भाजपा व कांग्रेस को इस बार बागियों व निर्दलीयों के संयुक्त मोर्चेबंदी का सामना करना पड़ सकता है। इससे महापौर का पेंच फंसाने की तैयारी है। इसके लिए भाजपा व कांग्रेस से बागी होकर चुनाव में उतरे मौजूदा व पूर्व पार्षदों द्वारा सुनियोजित मुहिम चलाई जा रही है। बताया जा रहा है कि जिन वार्डों में बागी, छोटे दल के प्रत्याशी अथवा निर्दलीय जीत सकने की स्थिति में हैं, वहां दूसरे बागियों व निर्दलीय को समर्थन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। भाजपा-कांग्रेस में इस बार टिकट वितरण को लेकर जबरदस्त आक्रोश रहा। मान-मनौव्वल के तमाम प्रयासों के बाद भी भाजपा के 20 और कांग्रेस के 17 बागी चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस से भी टिकट से वंचित दो निवृत्तमान पार्षदों के अलावा एक पूर्व एल्डरमेन और संगठन में सक्रिय रहे आधा दर्जन नेता बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। (Nagar nigam election in Chhattisgarh)
भाजपा के बागियों ने दिए संकेत
एक दिन पहले प्रतीक चिन्ह आवंटन के दौरान कलेक्टोरेट में बागियों ने एकजुटता दिखाकर इसके संकेत भी दिए। इस दौरान श्याम शर्मा, ज्ञानेश्वर ताम्रकार, अरुण सिंह सहित दर्जनभर नेताओं ने कहा कि पार्टियों के प्रत्याशियों के खिलाफ प्रभावी लोगों को मिलकर चुनाव लडऩे एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक इस विषय पर नेताओं के बीच आरंभिक चर्चा भी हो चुकी है।
28 से 30 सीटों पर बागियों नजर
सूत्रों के मुताबिक एकजुट बागियों द्वारा समर्थक वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं के माध्यम से मतदाताओं का मूड परखने सर्वे भी किया जा रहा है। इसमें करीब 28 से 30 सीटों पर राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के विरूद्ध जीत की संभावना सामने आई है। इसके आधार पर अब इन वार्डों को टारगेट कर बागी व निर्दलीय प्रत्याशियों को बैठाकर एक नाम पर सहमत करने की तैयारी की जा रही है।
टिकट वितरण के बाद उपजे असंतोष और बागियों की तैयारी से इस बार शहर सरकार में गैर दलीय पार्षदों की भी अच्छी संख्या होने की संभावना जताई जा रही है। इससे उत्साहित बागी व निर्दलीय ज्यादा से ज्यादा संख्या में जीतकर महापौर के चुनाव के दौरान पेंच फंसाने की जुगत भिड़ा रहे हैं। माना जा रहा है कि 8 से 10 बागी अथवा निर्दलीय जीतकर आए और दोनों दलों के बीच सीटों का अंतर इससे कम रहा तो इनकी पूछपरख बढ़ सकती है।
मौजूदा परिषद में 13 निर्दलीय
शहर के मतदाता राजनीतिक दलों से अलग छोटे दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों को भी महत्व देते रहे हैं। इसके चलते मौजूदा सदन में ही 13 निर्दलीय पार्षद चुनकर पहुंचे थे। जबकि कांग्रेस को 25 और भाजपा को 22 सीट मिली थी। हालांकि निर्दलीय जीतने के बाद करीब आधा दर्जन पार्षद अपनी मूल पार्टियों में लौट गए थे।
एक-दो दिन में बैठक की तैयारी
बागियों और निर्दलीयों को एकजुट कर तीसरा विकल्प खड़ा करने की जुगत में भिड़े नेता जल्द ही बैठक की तैयारी कर रहे हैं। पार्षद ज्ञानेश्वर ताम्रकार, अरुण सिंह और श्याम शर्मा ने इसके एक दिन पहले ही संकेत दे दिए थे। ताम्रकार ने बताया कि भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ रहे सभी नेताओं ने इस पर सहमति दे दी है। जल्द ही दूसरे दल के और निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ भी बैठक की जाएगी।
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