एक दिन पहले प्रतीक चिन्ह आवंटन के दौरान कलेक्टोरेट में बागियों ने एकजुटता दिखाकर इसके संकेत भी दिए। इस दौरान श्याम शर्मा, ज्ञानेश्वर ताम्रकार, अरुण सिंह सहित दर्जनभर नेताओं ने कहा कि पार्टियों के प्रत्याशियों के खिलाफ प्रभावी लोगों को मिलकर चुनाव लडऩे एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक इस विषय पर नेताओं के बीच आरंभिक चर्चा भी हो चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक एकजुट बागियों द्वारा समर्थक वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं के माध्यम से मतदाताओं का मूड परखने सर्वे भी किया जा रहा है। इसमें करीब 28 से 30 सीटों पर राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के विरूद्ध जीत की संभावना सामने आई है। इसके आधार पर अब इन वार्डों को टारगेट कर बागी व निर्दलीय प्रत्याशियों को बैठाकर एक नाम पर सहमत करने की तैयारी की जा रही है।
शहर के मतदाता राजनीतिक दलों से अलग छोटे दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों को भी महत्व देते रहे हैं। इसके चलते मौजूदा सदन में ही 13 निर्दलीय पार्षद चुनकर पहुंचे थे। जबकि कांग्रेस को 25 और भाजपा को 22 सीट मिली थी। हालांकि निर्दलीय जीतने के बाद करीब आधा दर्जन पार्षद अपनी मूल पार्टियों में लौट गए थे।
बागियों और निर्दलीयों को एकजुट कर तीसरा विकल्प खड़ा करने की जुगत में भिड़े नेता जल्द ही बैठक की तैयारी कर रहे हैं। पार्षद ज्ञानेश्वर ताम्रकार, अरुण सिंह और श्याम शर्मा ने इसके एक दिन पहले ही संकेत दे दिए थे। ताम्रकार ने बताया कि भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ रहे सभी नेताओं ने इस पर सहमति दे दी है। जल्द ही दूसरे दल के और निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ भी बैठक की जाएगी।