उपपंजीयक ने आदेश में कहा है कि बैंक के संचालक मंडल का पांच वर्ष का कार्यकाल खत्म होने के बाद यह बैठक बुलाई गई थी। संचालक मंडल का कार्यकाल 25 अप्रैल 2013 को समाप्त हो गया था। उसके बाद 26 अप्रैल 2013 को बहिर्गामी संचालक मंडल की बैठक बुलाई गई थी। जिसमें सोसाइटी अधिनियमों के प्रवाधानों का हवाला देकर आगामी चुनाव तक संचालक मंडल के क्रियाशील रहने का प्रस्ताव पारित किया गया। इस बैठक को संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं रायपुर ने शून्य घषित कर दिया था। शून्य घोषित करने के आदेश को प्र्रीतपाल बेलचंदन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिसमें हाईकोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया था।
उपपंजीयक ने आदेश में कहा है कि हाईकोर्ट के यथास्थिति के आदेश की गलत व्याख्या की गई और बहिर्गामी संचालक मंडल ने 13 अगस्त 2013 को बैठक बुलाकर बैंक की राशि 27 लाख 26 हजार 699 रुपए की अनियमित व्यय को स्वीकृत किया गया। इस पर पंजीयक सहकारी संस्थाएं ने बर्हिगामी संचलक मंडल के अध्यक्ष व सीईओ को कारण नोटिस जारी कर पूछा था कि संचालक मंडल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी उन्होंने बैंक को वित्तीय क्षति
पहुंचाई है।
कृषकों को होने वाली परेशानी और आक्रोश को देखते हुए बोर्ड द्वारा प्रस्ताव कर यह निर्णय लिया गया कि सहकारी सोसाइटी अधिनियम की धारा 53 में वर्णित प्रावधानित के तहत 14 (एक) (दो) (तीन) के तहत जिला सहकारी केंद्रयी बैक दुर्ग नहीं आता, ऐसी स्थिति में आगामी निर्वाचन तक वर्तमान संचालक मंडल तथावत क्रियाशील रहेगी। संयुक्त संचालक ने जब बैठक को शून्य घोषित किया उसके बाद बैठक में लिए गए निर्णयों का क्रियान्वयन नहीं किया गया। राशि बैंक के लाभ के फंड से जनहित में खर्च की गई है। किसी निजी संस्था को नहीं बल्कि शासकीय जिला अस्पतालों के लिए खर्च की गई है।