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साडा जमीन घोटाला में आया नया मोड़, जिस जमीन को अपना बताकर बेचा, उस पर आज भी मालिकाना हक है BSP का

locationदुर्गPublished: Aug 12, 2019 04:18:18 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

विशेष विकास क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) के कार्यकाल में आवंटित सभी भूखंडों की रजिस्ट्री की जांच होगी। शासन ने साडा कार्यकाल में आवंटित भूखंडों की जांच के लिए राज्यस्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी बनाई है।

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साडा जमीन घोटाला में आया नया मोड़, जिस जमीन को अपना बताकर बेचा, उस पर आज भी मालिकाना हक है BSP का

भिलाई. विशेष विकास क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) (SDA land scam Bhilai) के कार्यकाल में आवंटित सभी भूखंडों की रजिस्ट्री की जांच होगी। शासन ने साडा कार्यकाल में आवंटित भूखंडों की जांच के लिए राज्यस्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी बनाई है। कमेटी को साडा कार्यकाल में आवंटित और व्यवस्थापन के तहत आवंटित जमीन और रजिस्ट्री से संबंधित दस्तावेज के परीक्षण की जिम्मेदारी दी गई है, ताकि विवादित भूखंडों की जमीन की खरीदी-बिक्री न हो और लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े।
साडा कार्यकाल की कॉलोनियां
नेहरू नगर, पूर्व-पश्चिम, राधिका नगर, आकाश गंगा सुपेला, दक्षिण और उत्तर गंगोत्री, प्रियदर्शनी परिसर पूर्व-पश्चिम, स्मृति नगर, उल्लास नगर, अयप्पा नगर, शिवनाथ कॉम्प्लेक्स, अन्नपूर्णा मार्केट, वीर सावरकार मार्केट, महात्मा गांधी मार्केट, पंडित दीन दयाल कॉलोनी खुर्सीपार में कॉलोनी बसाई गई है। इन कॉलोनियों के कई भूखंड विवादित है। न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है।
जमीन आवंटन की सामने आई बड़ी गड़बडिय़ां

1. प्राइफ लोकेशन की जमीन 1998 में साडा के भंग होने के बाद प्राइफ लोकेशन, ग्रीन लैंड और पार्किंग की जमीन को प्लाट काटकर बेचने की एक दर्जन से अधिक शिकायत है। शासन की रोक के बावजूद साडा के तत्कालीन सीईओ और प्रशसक ने कलेक्टर गाइड लाइन को ताक पर रखकर प्लाट, भूखंडों की रजिस्ट्री कराई। जबकि शासन ने साडा भंग करने के आदेश के साथ जमीन की खरीदी बिक्री पर रोक लगा दी थी। बावजूद इसके रजिस्ट्री कराई गई।
2. शिवनाथ कॉम्प्लेक्स- यहां उद्योगपतियों को व्यवस्थापन के तहत जमीन आवंटित की गई। एक परिवार के तीन से चार सदस्यों को जमीन आवंटित किया गया। गैस गोडाउन और सर्विस रोड को प्लाट बनाकर बेचा गया।
3. लोकांगन- नेहरू नगर चौक के किनारे लोकांगन के लिए लगभग 10 हजार वर्गफीट जमीन आरक्षित किया गया था। इस जमीन का प्रयोजन बदलकर बेच दिया गया।

4. व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स- नेशनल हाइवे के किनारे की एफ-1 एफ-2 व्यावसायिक जमीन की खरीदी बिक्री का मामला विवादित हो गया। इसकी शिकायत लोकायुक्त से की गई।
5. शारदापारा आवासीय योजना की जमीन पर रसूखदारों के परिवार को जमीन आवंटित करने की वजह से मामला विवादित हो गया। मामला न्यायालय में विचाराधीन है।

लोकायुक्त जब्त कर चुका है दस्तावेज
निगम प्रशासन ने पुलिस को साडा कार्यकाल में पदस्थ कार्मियों और साडा प्रतिनिधियों की जानकारी दे दी है। बता दें कि 9 जून 1998 को साडा भंग हुआ। तब साडा के परिषद के पास 1159 भूखंड बचे थे।
25 साल पहले आयोग अब बनाई कमेटी
साडा जमीन घोटाला के मामले में शासन-प्रशासन से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत हुई, लेकिन किसी ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। 1990-1994 के बीच नेहरू नगर में सरस्वती शिशु मंदिर और मधु मेमोरियल हॉस्पिटल के लिए जमीन आवंटन के प्रस्ताव की जांच के लिए जगतपति आयोग बनाया गया। आयोग ने छह महीने में ही जांच कर सरकार को रिपोर्ट सौंप दिया। जांच मे सीईओ और बोर्ड मेंबर के सदस्यों को क्लीनचिट मिल गई। शासन ने जमीन आवंटन की जांच और मानिटरिंग के लिए कमेटी बनाई है।
आरोपियों को गिरफ्तार करने दौड़ भाग कर रही है पुलिस
शासन के आदेश के विरूद्ध जमीन की खरीदी बिक्री शिकायत पर शासन की ओर से पुलिस में अपराध दर्ज कराई है। पुलिस 20 साल तक कुछ नहीं किया। अब सुपेला पुलिस आरोपियों को गिरफ्तारी को लेकर दौड़ भाग कर रही है। पिछले 15 दिन से आरोपी निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता और साडा के तत्कालीन सीईओ एसबी सिंह की गिरफ्तारी के लिए अफसर दौड़ भाग कर रही है।
ये हैं मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य
1. एसके दुबे, सयुंक्त संचालक, समिति के अध्यक्ष
2. डीके बांसवार, उप संचालक, सदस्य
3. वीपी शर्मा, अधीक्षण अभियंता, सचिव

जमीन का मालिक आज भी बीएसपी
नेहरू नगर आवासीय योजना की जिस जमीन को साडा ने अपना बता रही है। उस जमीन का मालिक आज भी बीएसपी है। जन सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में इस बात का उल्लेख किया है। दुर्ग तहसीलदार ने आमदी नगर हुडको की खसरा नंबर 34 की 272.69 हेक्टेयर जमीन को बीएसपी का होना बताया है। उसी खसरा नंबर की जमीन पर साडा ने मोतीलाल नगर पूर्व पश्चिम और स्मृति नगर कॉलोनी बसाई है।
इन बिन्दुओं पर करेंगे दस्तावेज का परीक्षण
तीन सदस्यीय कमेटी साडा कार्यकाल में बसाई गई कॉलोनियों की जमीन का ब्लॉक/ सेक्टर, भूखंडधारी का नाम, भूखंड का क्रमांक, भूखंड की लंबाई/चौड़ाई/क्षेत्रफल,जमीन का प्रयोजन आवासीय/व्यावसायिक और आवासीय सह व्यावसायिक के आधार पर रजिस्ट्री के दस्तावेज का परीक्षण करेंगे।
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