बहुमत के बाद भी हारी शहर सरकार
बुधवार को बैठक में सत्तापक्ष को उस समय जमकर किरकिरी झेलनी पड़ी जब सदन में बहुमत के बाद भी दुकानों के बरामदों के बिक्री का प्रस्ताव खारिज हो गया। दरअसल इस दौरान सत्तापक्ष के ही कई पार्षदों ने विरोध में मत दे दिया वहीं कई लोगों ने चुप्पी साध ली। इससे उनका यह प्रस्ताव एक मत के अंतर से गिर गया। इस पर बाद में सत्तापक्ष के सीनियर नेताओं की नाराजगी भी दिखी।
स्कूल की जमीन पर जमकर तकरार
इधर महात्मा गांधी स्कूल की जमीन की बिक्री के प्रस्ताव को सत्तापक्ष पारित कराने में कामयाब रहा, लेकिन इसके लिए उन्हें विपक्ष के तकरारों का जमकर सामना करना पड़ा। मामले में विपक्ष और निर्दलीयों ने एकजुट होकर सत्तापक्ष को घेरा और स्कूल की उपयोगी सरकारी जमीन को बेचने पर आपत्ति दर्ज कराई। मामले में पक्ष-विपक्ष के बीच आरोप प्रत्यारोप भी हुए, लेकिन यह प्रस्ताव पर्याप्त बहुमत से पारित हो गया।
दिवंगत वोरा की गरिमा पर सवाल
मालवीय नगर चौक स्थित फिल्टर प्लांट परिसर का नाम दिवंगत कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा के नाम पर किए जाने के प्रस्ताव पर भी सत्तापक्ष विपक्ष के तीखे तेवरों का सामना करना पड़ा। दरअसल विपक्ष का कहना था कि दिवंगत नेता के व्यक्तित्व व गरिमा के अनुरूप किसी बड़े निर्माण का नामकरण उनके नाम पर किया जाना चाहिए, लेकिन मौजूदा सरकार ऐसा कोई भी काम नहीं कर पाई। पहले से ही नामकरण के बोर्ड लगाए जाने पर भी सवाल खड़े किए गए, लेकिन सभी इसे बाद में सर्वसहमति से पारित कर दिया।
चूक- पहले दिन बजट पास, दूसरे दिन चर्चा
बैठक के दौरान आसंदी की भी बड़ी चूक सामने आई। सामान्य सभा के पहले ही दिन बजट सर्वसहमति से पास कर लिया गया था। इस दिन डिमांड के बाद भी कई पार्षदों को अभिमत रखने समय नहीं दिया गया। इस तरह बजट का विषय वस्तु समाप्त हो गया था। इसके बाद भी दूसरे एजेंडों से पहले बिना पूर्व सूचना पार्षदों के करीब दो घंटे तक वार्डों की समस्याओं पर चर्चा कराई गई। जानकारों की मानें तो एजेंडों के बीच ऐसा नहीं कराया जा सकता।