भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार को अपनी नई कार्यकारिणी की घोषणा की। इसमें 12 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और 8 राष्ट्रीय महामंत्रियों को जगह दी गई है। इनमें प्रदेश से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह एकमात्र नेता रहे, जिन्हें वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में जगह दी गई है। सूची में सर्वाधिक चौंकाने वाली स्थिति सांसद सरोज पांडेय का नाम नहीं होना रहा। वे राष्ट्रीय महासचिव का महत्वपूर्ण दायित्व संभालने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के भी बेहद करीबी मानी जाती है।
भाजपा के मंडल और जिला अध्यक्षों के चुनाव को लेकर जिले में जमकर बवाल मचा था। इस दौरान सांसद सरोज पर चहेतों को कार्यकर्ताओं की मर्जी के खिलाफ मंडल अध्यक्ष के पदों पर नियुक्त कराने के आरोप लगे थे। इस दौरान कार्यकर्ताओं से धक्का मुक्की और विवाद के वीडियो भी वायरल हुए थे। मामला प्रदेश और राष्ट्रीय आलाकमान तक भी पहुंचा था। इसके बाद से चुनाव अधर में है और दुर्ग व भिलाई जिला अध्यक्ष का चुनाव अब तक नहीं हो पाया है।
सांसद सरोज पांडेय की प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं से तल्खी भी रही है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय के अलावा सांसद विजय बघेल से उनकी दूरी की खबरें लगातार सामने आती रहीं हैं। इसके अलावा स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज कर सीधे राष्ट्रीय नेतृत्व से नजदीकी के कारण भी वे कई नेताओं के निशाने पर रही हैं। उन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान भी प्रचार से दूर रखा गया था।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह नहीं मिलने को सांसद सरोज के राजनीतिक कद में कटौती के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इससे जिले में भाजपा का राजनीतिक समीकरण और गुटीय संतुलन भी बदल जाएगा। अब तक सांसद सरोज के शीर्ष नेतृत्व के करीबी होने के कारण समर्थकों का बड़ा समूह स्थानीय नेतृत्व को नजरअंदाज कर उनके साथ चल रहा था। उनके समर्थक यह उम्मीद लगाए हुए हैं कि उन्हें कोई दूसरी जिम्मेदारी दी सकती है।
इसके पहले कांग्रेस में भी जिले के वयोवृद्ध नेता मोतीलाल वोरा को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई। वोरा को राज्यसभा में भी नहीं भेजा गया। वे लंबे समय तक कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रहे। फिर प्रशासनिक महासचिव बनाए गए थे। उसके बाद कार्यकारिणी में हुए फेरबदल में वोरा को जगह नहीं मिली। ऐसा माना जा रहा है कि उम्र को देखते हुए उन्हें जिम्मेदारियों से मुक्त रखा गया है।