scriptजिस सोया चिकी को खाकर बीमार पड़े थे सरकारी स्कूल के 29 बच्चे उसे कलेक्टर ने दी क्लीन चिट, प्रधानपाठक को भी किया था निलंबित | Soya chick will be distributed again in government schools in Durg | Patrika News

जिस सोया चिकी को खाकर बीमार पड़े थे सरकारी स्कूल के 29 बच्चे उसे कलेक्टर ने दी क्लीन चिट, प्रधानपाठक को भी किया था निलंबित

locationदुर्गPublished: Jan 23, 2022 09:11:34 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

सरकारी स्कूल में अब पूरे ढाई महीने बाद फिर से सोया चिकी बांटी जाएगी। दुर्ग कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने चिकी की दो रिपोर्ट आने ने बाद स्कूलों में इसे फिर से बांटने के निर्देश दिए हैं।

जिस सोया चिकी को खाकर बीमार पड़े थे सरकारी स्कूल के 29 बच्चे उसे कलेक्टर ने दी क्लीन चिट, प्रधानपाठक को भी किया था निलंबित

जिस सोया चिकी को खाकर बीमार पड़े थे सरकारी स्कूल के 29 बच्चे उसे कलेक्टर ने दी क्लीन चिट, प्रधानपाठक को भी किया था निलंबित

भिलाई. सरकारी स्कूल में अब पूरे ढाई महीने बाद फिर से सोया चिकी बांटी जाएगी। दुर्ग कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने चिकी की दो रिपोर्ट आने ने बाद स्कूलों में इसे फिर से बांटने के निर्देश दिए हैं। नवंबर के पहले सप्ताह में कोहिलापुरी के प्राथमिक और मिडिल स्कूल में चिकी खाने की वजह से 29 बच्चे बीमार हो गए थे। जिसके बाद जिले के सभी स्कूलों में चिकी बांटने पर रोक लगा दी गई थी। वही चिकी के सैंपल भी बीज निगम को भेजे गए थे। डीईओ प्रवास सिंह बघेल ने भी प्राइवेट लैब में चिक्की की जांच कराई थी। पूरे ढाई महीने बाद रिपोर्ट सही आने के बाद अब फिर से स्कूली बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप में सोया चिकी मिल सकेगी। हालांकि उस घटना के बाद स्कूलों में शिक्षक से लेकर अधिकारी तक काफी दहशत में थे। क्योंकि चिकी खाने से बीमार हुए बच्चों की वजह से वहां के प्रधानपाठक को निलंबित भी कर दिया गया था। इधर पिछले ढाई महीने से स्कूलों की आलमारी में बंद चिक्की को दोबारा बांटना भी विभाग के लिए बड़ा चैलेंज हो गया है, क्योंकि इसकी एक्सपाइरी पैकिंग से 3 महीने तक होती है और यह स्टॉक तीन महीने के हिसाब से आया था जो स्कूल में रखा रह गया।
दो जगह हुई जांच
चिक्की की जांच विभाग ने दो जगह कराया था। सरकारी सप्लाई होने की वजह से बीज निगम की लैब में इसे भेजा गया था। वही चिक्की की विश्वसनियता को और भी बेहतर ढंग से परखने निजी लैब में भी इसे जांच के लिए भेजा गया था। दोनों ही लैब की रिपोर्ट सही आई और चिक्की में किसी प्रकार की कोई खराबी नहीं पाई गई। वही बच्चों की तबियत बिगडऩे का कारण पहले ही चिक्की का ज्यादा खाना बताया गया था।
बची हुई चिकी हो सकती है खराब
शिक्षा विभाग ने कोलिहापुरी की घटना के बाद पूरे जिले में चिकी के बांटने पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद सभी स्कूल प्रमुखों ने चिकी को सुरक्षित बॉक्स में पैक कर रख दिया था, लेकिन यह उस वक्त अक्टूबर 2021 में पैक होकर आई थी और इसे तीन महीने के अंदर ही इस्तेमाल करना था। अब स्कूल भी बंद होने के बाद बच्चों को चिकी बांटना बड़ा चैलेंज होगा। डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे, कलेक्टर, दुर्ग ने कहा कि चिकी खाकर बच्चे बीमार हो गए थे। जिसके बाद उसकी जांच दो अलग-अलग लैब में कराई गई थी, ताकि सही कारण पता चल सके। दोनों ही रिपोर्ट में चिकी सही पाई गई है। इसलिए शिक्षा विभाग को दोबारा स्कूलों में चिकी बांटने के निर्देश दिए हैं।
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