कुलपति, डॉ. अरूणा पल्टा ने बताया कि प्राध्यापक, विद्यार्थी एवं प्राचार्यो ने ओपन बुक परीक्षा को जनरल प्रमोशन जैसा मानकर उसे गंभीरता से नहीं लिया। जबकि वास्तव में जनरल प्रमोशन नहीं दिया जा रहा है। केवल कोविड-19 संक्रमण से बचने छात्रों को घर बैठे परीक्षा देने की सुविधा दी गई थी। यह पूर्ण परंपरागत परीक्षा प्रणाली के केवल तरीके में परिवर्तन मात्र है। इसलिए प्राध्यापक भी उत्तर पुस्तिका की जांच के दौरान छात्रों के परफार्मेस यानी जितना उन्होंने लिखा है उसके आधार पर ही नंबर दें।
विवि के कुलसचिव डॉ. सीएल देवांगन ने बताया कि जिन विद्यार्थियों ने या तो कोरी कापियां जमा की है, या अपेक्षाकृत उत्तर नहीं लिखे हैं उनके परीक्षा परिणाम प्रभावित होंगे। ऐसे में इन सभी छात्रों को दोबारा अवसर दिया जाएगा। जिसमें वे फिर एक बार सफल होने का मौका पा सकते हैं। उप कुलसचिव परीक्षा, भूपेन्द्र कुलदीप ने बताया कि अधिकांश महाविद्यालयों में मूल्यांकन कार्य लगभग 25 प्रतिशत से ज्यादा पूर्ण हो चुका हैं। साथ ही प्राप्तांक विवि के पोर्टल पर प्राप्त होने लगे हैं। अक्टूबर के आखिर तक कई संकाय और कक्षाओं के परिणाम घोषित हो जाएंगे।
अकादमिक विभाग के सहा. कुलसचिव, डॉ. सुमीत अग्रवाल ने बताया कि दुर्ग विवि पीएचडी कोर्स वर्क की परीक्षा नवंबर के अंत या दिसंबर के शुरुआत में लेने की योजना है। इसलिए शोधार्थी कोर्स वर्क परीक्षा के लिए तैयारी करते रहें। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि जिन महाविद्यालयों में किसी विभाग में 3 पीएचडी उपाधि प्राप्त नियमित प्राध्यापक पदस्थ हैं, वहां उस विषय के शोध केन्द्र खोले जाने को भी विवि प्रशासन प्रयासरत है।