करने का काम चल रहा है।
इस रेंज में प्रैक्टिस का फायदा फोर्स को माओवादी क्षेत्र में ज्यादा मिलेगा। जहां मुठभेड़ के दौरान कई बार नक्सली दूर होते हैं और जवानों का निशाना चूक जाता है। @Patrika.इस फायरिंग रेंज के शुरू हो जाने के बाद जवान भी जवाबी हमला हो या अटैक अपना बेहतर परफार्मेंस दे सकेंगे। फिर चाहे जंगल हो या कोई और जगह बस जवानों को अपना टारगेट उस रेंज में नजर आना चाहिए।
बघेरा में तैयार हो रही इस फायरिंग रेंज में जवानों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा गया है। 40 फीट ऊंची दीवारों के घेरे में लोहे के एंगल वाले बफर भी लगाए गए हैं। ताकि गोली टारगेट से चूक जाए तो वहीं ठहर जाए और आसपास के लोग सुरक्षित रहें। @Patrika.एक्सपर्ट के अनुसार इस रेंज में फायरिंग की प्रैक्टिस के दौरान कुछ टारगेट को सामने रहेंगे ही साथ ही कुछ उसमें अचानक भी शामिल हो सकेंगे।