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स्कूली छात्रा को भगाकर दूसरे गांव में रखा पत्नी बनाकर, छात्रा परिजन के सुपुर्द और आरोपी गया जेल

locationदुर्गPublished: Aug 30, 2018 06:53:59 pm

कक्षा 10 वीं की 17 वर्षीय की छात्रा को भगाकर दुष्कर्म करने वाले सुपेला निवासी सोनू बांधे उर्फ छोटू (21 वर्ष) को न्यायालय ने दोषी ठहराया है।

Durg crime

स्कूली छात्रा को भगाकर दूसरे गांव में रखा पत्नी बनाकर, छात्रा परिजन के सुपुर्द और आरोपी गया जेल

दुर्ग. कक्षा 10 वीं की 17 वर्षीय की छात्रा को भगाकर दुष्कर्म करने वाले सुपेला निवासी सोनू बांधे उर्फ छोटू (21 वर्ष) को न्यायालय ने दोषी ठहराया है। पंचम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी ने गुरुवार को मामले में आरोपी सोनू को पॅाक्सो एक्ट की धारा के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास, अपहरण की दो अलग अलग धारा के तहत तीन-तीन वर्ष साधारण कारावास की सजा सुनाई है। आरोपी को कुल 1400 रुपए जुर्माना भी जमा करना होगा। इस प्रकरण में अंडा थाना पुलिस ने आरोपी के खिलाफ अभियोग पत्र प्रस्तुत किया था।
अपहरण की आंशका व्यक्त कर एफआईआर दर्ज
पुलिस के मुताबिक कक्षा 10 वीं की नाबालिग छात्रा अपै्रल २०१७ में स्कूल जाने घर से निकली थी। देर शाम तक नहीं लौटने पर परिवार वालों ने आसपास के गांव में तलाश की और रिश्तेदारों के यहां पूछताछ की। कहीं पता नहीं चलने पर अंडा थाना में गुमशुदगी दर्ज कराई। नाबालिग के अचानक गायब होने पर पुलिस ने अपहरण की आंशका व्यक्त करते हुए एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की।
ग्राम बटरेल से बरामद हुई नाबालिग
एफआइआर के कुछ दिन बाद पुलिस को सूचना मिली कि नाबालगि गांव बटरेल में रह रही है। पुलिस सूचना के आधार पर ही बटरेल के ग्रामीणों से पूछताछ की तो खुलासा हुआ कि आरोपी किराए का मकान लेकर रह रहा है। वहीं नाबालिग को पत्नी बनाकर रखा है। पुलिस ने नाबालिग को अपने कब्जे में लेकर थाना आ गई और आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में नाबालिग ने दुष्कर्म की बात सार्वजनिक की थी।
पीडि़ता को मिलेगी प्रतिकर राशि
न्यायाधीश ने फैसले में पीडि़ता को प्रतिकर राशि दिलाने का निर्देश दिया है। प्रतिकर राशि शासन में निर्धारित मापदंडो के आधार पर दी जाएगी। इसके लिए न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को पत्र लिखा है।
इस प्रकरण में कुल 8 गवाह ने घटना का समर्थन किया

अतिरिक्त लोक अभियोजक कमल वर्मा ने बताया कि इस प्रकरण में कुल 8 गवाह थे। सभी ने घटना का समर्थन किया। न्यायालय में तर्कप्रस्तुत किया कि आरोपी ने वैधानिक संरक्षण से विधि के विरुद्ध ले गया था। अभियोजन के साक्षियों ने इसका समर्थन किया। घटना स्पष्ट रुप से प्रमाणित है। न्यायालय ने इस तर्क को सही ठहराते हुए फैसला सुनाया।

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