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छत्तीसगढ़ का सियासी महासंग्राम: दुर्ग ग्रामीण में महिलाओं का एकाधिकार, तो दुर्ग शहर में इस बार बनेगा नया समीकरण

locationदुर्गPublished: Sep 06, 2018 10:43:48 pm

दुर्ग ग्रामीण विधान सभा के अस्तित्व में आने के बाद से यहां महिलाओं का एकाधिकार है। वहीं जिले की सबसे प्रतिष्ठित दुर्ग शहर विधानसभा सीट पर 25 साल बाद इस बार राजनीतिक समीकरण बदलेगा।

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छत्तीसगढ़ का सियासी महासंग्राम: दुर्ग ग्रामीण में महिलाओं का एकाधिकार, तो दुर्ग शहर में इस बार बनेगा नया समीकरण

दुर्ग. दुर्ग ग्रामीण विधान सभा वैसे तो पिछड़ा वर्ग की अनारक्षित सीट है, लेकिन वर्ष 2008 के परिसीमन में अस्तित्व में आने के बाद से यहां महिलाओं का एकाधिकार है। पहले चुनाव वर्ष 2008 में कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर पुरूष प्रतिद्वंद्वियों को पराजित कर क्षेत्र की पहली महिला विधायक बनीं। वर्ष 2013 में प्रतिमा को भाजपा की रमशीला साहू से पराजय का सामना करना पड़ा। रमशीला साहू जिले की एकमात्र महिला विधायक होने के साथ प्रदेश की अकेली महिला मंत्री भी हैं। लिहाजा इस बार भाजपा से उनकी दावेदारी सबसे पुख्ता है,लेकिन उनके पति पूर्व विधायक डॉ. दयाराम साहू के उनके कामकाज में हस्तक्षेेप को लेकर संगठन के बड़े खेमे में असंतोष है। यहां से भाजपा व कांग्रेस दोनों में दावेदारों की फौज है। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में यहां से पराजित रहे जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन इस कतार में आगे हैं। उनके अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष माया बेलचंदन, उपाध्यक्ष थानूराम साहू, जिला पंचायत सदस्य मुकेश बेलचंदन, भाजयुमो के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य ललित चंद्राकर, आरएसएस के प्रांतीय सर संघ चालक बिसराराम यादव के बेटे व स्काउट गाइड के राज्य आयुक्त गजेन्द्र यादव, दुर्ग जनपद अध्यक्ष संतोषी देशमुख, मंडल भाजपा अध्यक्ष दिनेशदे शमुख, साहू समाज के पदाधिकारी विपिन साहू भी दावेदारों में शामिल है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस पराजित हुई थी

इस विधानसभा में पिछले चुनाव में कांग्रेस पराजित हुई थी। इस बार भाजपा की तरह कांग्रेस में टिकट के दावेदारों की लंबी कतार है। यहां से स्क्रीनिंग कमेटी के सामने 35 लोगों ने दावेदारी पेश की है। पिछले चुनाव में नजदीकी मुकाबले के बाद पराजय के कारण पूर्व विधायक प्रतिमा चंद्राकर का दावा स्वाभाविक माना जा रहा है। वहीं सांसद ताम्रध्वज साहू के बेटे जितेंद्र साहू, पूर्व जिला पंचायत सदस्य केशव हरमुख,सरपंच संघ के अध्यक्ष रिवेन्द्र यादव और कांग्रेस के राष्ट्रीय पदाधिकारी दीपक दुबे प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं। युवा वर्ग से जिला पंचायत सदस्य जयंत देशमुख ने भी दावेदारी की है। इसके अलावा दिवंगत नेता वासुदेव चंद्राकर के दामाद मुकेश चंद्राकर, भिलाई के पार्षद चुम्मन देशमुख, केशव बंछोर और राजेन्द्र रजक ने भी दावेदारी की है। सांसद प्रतिनिधि मोहनीश बंछोर और संजीव धनकर भी टिकट की होड़ में शामिल हैं। साहू और कुर्मी बाहुल्य इस क्षेत्र में भाजपा व कांग्रेस दोनों यह जातीय समीकरण को ध्यान में रखती है। वहीं जनता कांग्रेस यहां से खेरथा के पूर्व विधायक डॉ. बालमुकुंद देवांगन को प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। देवांगन भाजपा के विधायक रहे हैं। पार्टी छोड़कर वे जोगी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
दुर्ग शहर विधानसभा : हेमचंद के निधन के बाद भाजपा को नए चेहरे की तलाश
जिले की सबसे प्रतिष्ठित दुर्ग शहर विधानसभा सीट पर 25 साल बाद इस बार राजनीतिक समीकरण बदलेगा। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रशासनिक प्रबंधक व राज्यसभा सांसद मोतीलाल वोरा के गृहक्षेत्र और उनके सुपुत्र विधायक अरुण वोरा का निर्वाचन क्षेत्र होने के कारण सीट कांग्रेस के लिए बेहद अहम है। इस बार भी अरुण वोरा कांग्रेस की ओर से एकमात्र दावेदार हैं। किसी अन्य कांग्रेसी नेता ने स्क्रीनिंग कमेटी के सामने दावेदारी नहीं की है। इस लिहाज से उनकी टिकट भी पक्की मानी जा रही है। वहीं वोरा का तिलस्म तोड़कर प्रदेश में तीन बार मंत्री रहे हेमचंद यादव के निधन के बाद भाजपा को नए चेहरे की तलाश है। इस सीट पर हेमचंद यादव और अरुण वोरा के बीच लगातार ५ बार मुकाबला हो चुका है। इसमें 3 बार हेमचंद यादव व 2 बार अरुण वोरा जीत दर्ज करने में सफल रहे। अब 25 साल बाद यह पहला मौका होगा जब अरुण वोरा को टिकट मिली तो उनका मुकाबला भाजपा के किसी नए चेहरे से होगा। मुकाबले में प्रतिद्वंद्वी बदलने से राजनीतिक समीकरण में भी बदलाव की संभावना है।
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