पिछले चुनाव में कांग्रेस पराजित हुई थी इस विधानसभा में पिछले चुनाव में कांग्रेस पराजित हुई थी। इस बार भाजपा की तरह कांग्रेस में टिकट के दावेदारों की लंबी कतार है। यहां से स्क्रीनिंग कमेटी के सामने 35 लोगों ने दावेदारी पेश की है। पिछले चुनाव में नजदीकी मुकाबले के बाद पराजय के कारण पूर्व विधायक प्रतिमा चंद्राकर का दावा स्वाभाविक माना जा रहा है। वहीं सांसद ताम्रध्वज साहू के बेटे जितेंद्र साहू, पूर्व जिला पंचायत सदस्य केशव हरमुख,सरपंच संघ के अध्यक्ष रिवेन्द्र यादव और कांग्रेस के राष्ट्रीय पदाधिकारी दीपक दुबे प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं। युवा वर्ग से जिला पंचायत सदस्य जयंत देशमुख ने भी दावेदारी की है। इसके अलावा दिवंगत नेता वासुदेव चंद्राकर के दामाद मुकेश चंद्राकर, भिलाई के पार्षद चुम्मन देशमुख, केशव बंछोर और राजेन्द्र रजक ने भी दावेदारी की है। सांसद प्रतिनिधि मोहनीश बंछोर और संजीव धनकर भी टिकट की होड़ में शामिल हैं। साहू और कुर्मी बाहुल्य इस क्षेत्र में भाजपा व कांग्रेस दोनों यह जातीय समीकरण को ध्यान में रखती है। वहीं जनता कांग्रेस यहां से खेरथा के पूर्व विधायक डॉ. बालमुकुंद देवांगन को प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। देवांगन भाजपा के विधायक रहे हैं। पार्टी छोड़कर वे जोगी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
दुर्ग शहर विधानसभा : हेमचंद के निधन के बाद भाजपा को नए चेहरे की तलाश
जिले की सबसे प्रतिष्ठित दुर्ग शहर विधानसभा सीट पर 25 साल बाद इस बार राजनीतिक समीकरण बदलेगा। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रशासनिक प्रबंधक व राज्यसभा सांसद मोतीलाल वोरा के गृहक्षेत्र और उनके सुपुत्र विधायक अरुण वोरा का निर्वाचन क्षेत्र होने के कारण सीट कांग्रेस के लिए बेहद अहम है। इस बार भी अरुण वोरा कांग्रेस की ओर से एकमात्र दावेदार हैं। किसी अन्य कांग्रेसी नेता ने स्क्रीनिंग कमेटी के सामने दावेदारी नहीं की है। इस लिहाज से उनकी टिकट भी पक्की मानी जा रही है। वहीं वोरा का तिलस्म तोड़कर प्रदेश में तीन बार मंत्री रहे हेमचंद यादव के निधन के बाद भाजपा को नए चेहरे की तलाश है। इस सीट पर हेमचंद यादव और अरुण वोरा के बीच लगातार ५ बार मुकाबला हो चुका है। इसमें 3 बार हेमचंद यादव व 2 बार अरुण वोरा जीत दर्ज करने में सफल रहे। अब 25 साल बाद यह पहला मौका होगा जब अरुण वोरा को टिकट मिली तो उनका मुकाबला भाजपा के किसी नए चेहरे से होगा। मुकाबले में प्रतिद्वंद्वी बदलने से राजनीतिक समीकरण में भी बदलाव की संभावना है।