प्रतिनिधि मंडल में शामिल ग्रामीणों ने बताया कि पटेल ने कहा है कि उन्हें धमधा के लोगों के पोस्टकार्ड मिले हैं। इसके बाद टीम भेजी गई है और जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। उनके साथ पूर्व संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल भी मौजूद थे। धमधा के लोगों ने पोस्टकार्ड में धमधा और तितुरघाट को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने की मांग की थी। मत्री पटेल से धर्मधाम गौरवगाथा समिति का एकप्रतिनिधिमंडल भी मिला और ज्ञापन सौंपा। जिसमें धमधा के प्राचीन स्मारकों के संरक्षण के लिए उसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन करने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल में भीषमलाल ताम्रकार, गोविन्द पटेल, मोहन उपारकर, पुष्पा पटेल शामिल थे।
अंग्रेजों ने संरक्षित क्षेत्र घोषित किया था
धमधा लंबे समय तक गोंडवाना राजाओं का शासन था। जिसके किले, खाई, मंदिर, प्रवेश व्दार, सुरक्षा व्दार, पहरेदारी चौकी आदि धमधा में विद्यमान हैं। अब से लगभग 100 साल पहले ब्रिटिश सरकार ने धमधा के ऐतिहासिक धरोहरों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन संरक्षित क्षेत्र घोषित किया था। जिसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 1961 में राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की सूची से बाहर कर दिया। इसे फिर से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन करने 5 हजार पोस्टकार्ड भेजे गए थे।