पुनीत राम और इंद्रा ने बताया कि उनकी बहू किरण दोबारा शादी के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन उन्होंने तीन साल में उसे काफी समझाया। उन्होंने कहा कि उनकी ढलती उम्र है और उनके बाद किरण अकेली रह जाएगी। ऐसे में उसके जीवन में साथ चलने एक साथी की जरूरत थी। उनका बेटा तो कुछ दिनों का साथ देकर चला गया, लेकिन अब वे अपनी बहू को विधवा बनकर नहीं देख सकते थे, इसलिए उन्होंने किरण के लिए दोबारा रिश्ता ढूंढा। इसमे उनसे मायके से भी सहमति ली गई।
बहू किरण की शादी धमतरी निवासी संतोष साहू के साथ तय हुई। संतोष जब बारात लेकर घर आया तो उसके उसका स्वागत किरण के सास ससुर ने माता-पिता बनकर किया और सामाजिक रीति-रिवाज के बीच कन्यादान भी किया। विदाई के वक्त न सिर्फ पुनीत साहू, इंद्रा और किरण की आंखें नम थी, बल्कि इसे देख वहां मौजूद लोग भी भावुक हो गए। समाज में मिसाल बने इस विवाह को देखने ललित चौधरी , लखन साहू, रूपेंद्र गंजीर, ओमप्रकाश साहू, मुक्तु राम साहू , भोलाराम साहू, अनिल बनपेला सहित समाज के पदाधिकारी व परिजन उपस्थित थे। साहू समाज के लोगों ने कहा विधवा बहुओं का घर बसाने की ऐसी पहल सामाजिक स्तर पर भी होनी चाहिए।