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आचार्य बेटे से दीक्षा लेकर भगवती बनीं विहानश्री

दुर्ग. करीब 25 साल पहले सांसारिक जीवन त्यागकर धर्म के मार्गपर निकल पड़े बेटे आचार्य विमर्श सागर महाराज के हाथों यहां उनकी सांसारिक मां भगवती दीदी ने भी जिनदीक्षा लेकर वैराग्य जीवन धारणकर लिया।

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आचार्य विमर्श सागर महाराज के हाथों गंजमंडी प्रांगण में हुआ दीक्षा का कार्यक्रम.

दुर्ग. करीब 25 साल पहले सांसारिक जीवन त्यागकर धर्म के मार्गपर निकल पड़े बेटे आचार्य विमर्श सागर महाराज के हाथों यहां उनकी सांसारिक मां भगवती दीदी ने भी जिनदीक्षा लेकर वैराग्य जीवन धारणकर लिया। आचार्य ने उन्हें यहां जैन समाज के भव्य कार्यक्रम में दीक्षा दी।इसके साथ ही उन्होंने उनका नया नामकरण भी किया।दीक्षा के बाद अब भगवती दीदी साध्वी विहानश्री कहलाएंगी। भगवती दीदी के साथ बाल ब्रह्मचारी अंकित भैया और सुमन दीदी ने भी दीक्षा ली। दीक्षा उपरांत अंकित भैया अब मुनि वगय सागर कहलाएंगे, वहीं सुमन दीदी का माता विप्रांतश्री नामकरण किया गया।


रविवार की सुबह 5 बजे आचार्य विमर्श सागर महाराज के सानिध्य में जिनदीक्षा का कार्यक्रम शुरू हुआ। सबसे पहले केशलोचन की प्रक्रिया की गई। आचार्य विमर्शसागर महाराज ने स्वयं अपने हाथों से तीनों दीक्षार्थियों का केशलोचन किया। इसके बाद अब दीक्षित साधु और साध्वी जीवन पर्यंत अपने हाथों से केशलोचन करेंगे। इसके बाद दीक्षार्थियों की उबटन आदि लगाकर उनके परिजन व समाज के लोगों ने मंगलस्नान कराया। यह उनके जीवन अंतिम स्नान था।इसके बाद ये साधक अस्नान मूलगुण का पालन करेगें।


दीक्षा से पहले जिन दर्शन
तीनों दीक्षार्थियों को केशलोचन और मंगल स्नान के बाद जिन दर्शन कराया गया।इसके लिए जैन समाज के लोगों ने गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा निकालकर दीक्षार्थियों को मंदिर ले जाया गया। जहां दीक्षार्थियों द्वारा मंगल अभिषेक और पूजन विधिपूर्वक संपन्न कराया गया। इसके बाद शोभायात्रा दीक्षा स्थल पर पहुंची।


मंगलाचरण से दीक्षा की प्रक्रिया
दोपहर ठीक 1 बजे से आचार्य विमर्श सागर दीक्षा के लिएससंघ मंचासीन हुए। इसके तत्काल बाद उन्होंने मंगलाचरण से दीक्षा की प्रक्रिया शुरू की। चित्तमनावरण, दीपप्रज्जवलन आदि मंागलिक गतिविधियों के साथ आचार्य का प्रिंस जैन ने मंगल पाद प्रछालन किया। नरेंद्र जैन को शास्त्र भेट करने का अवसर मिला। इसके बाद दीक्षा की प्रक्रिया कराई गई।


दीक्षा के साथ ही नामकरण
तीनों दीक्षार्थियों का आचार्य ने दीक्षा पूर्ण कराया। इसके साथ ही दीक्षार्थियों का सांसारिक नाम से अलग नामकरण किया गया। इसमें अंकित भैया को मुनि वगय साागर और भगवती दीदी को क्षुल्लिका विहानश्री और सुमन दीदी का विप्रांतश्री नामकरण किया गया। दीक्षार्थियों को नवीनी नवीन पिच्छी व कमण्डलु भेट किया गया।


राज्यपाल पहुंची आचार्य दर्शन के लिए
जिनदीक्षा कार्यक्रम में राज्यपाल अनुसुइया उइके भी शामिल हुई। उन्होंने जैन आचार्यों को श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरे जीवन में संस्कार का बीज रोपने में जैन आचार्यों के प्रवचनों और आशीर्वाद की बड़ी भूमिका है। मैं गोलगंज छिंदवाड़ा में रहीं, वहां अनेक जैन समाज की लड़कियां मेरी मित्र थीं। उनके परिवारों के साथ मुझे भी जैन समाज के आचार्यों का आशीर्वाद मिला और मैं उनके प्रवचनों से लाभान्वित हुईं। उन्होंने मेरे जीवन में संस्कार का बीज रोपने में अहम भूमिका निभाई।
राज्यपाल ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में पदग्रहण से पूर्व भी मैंने जैन आचार्यों का आशीर्वाद लिया। सुश्री उईके ने कहा कि महावीर स्वामी का संदेश जियो और जीने दो का संदेश है। यह पूरी दुनिया में शांति का संदेश है। महावीर स्वामी का जीवन हमारे सामने बड़ा आदर्श प्रस्तुत करता है। वे राजपरिवार में पैदा हुए लेकिन समाज को सच्ची राह दिखाने सांसारिक सुखों का पूरी तरह से परित्याग कर दिया। सुश्री उईके ने कहा कि जब मैं जैन भिक्षुओं का जीवन देखती हूँ तो उनके प्रति श्रद्धा और बढ़ जाती है। सांसारिक सुखों का पूरी तरह परित्याग कर वे हमें संयम की सीख देते हैं। अहिंसा का पाठ पढ़ाते हैं। अत्यंत संयम और कठिन जीवन बिताने वाले जैन भिक्षु समाज के लिए आदर्श हैं।


मंत्री ताम्रध्वज ने भी लिया आशीर्वाद
मंत्री ताम्रध्वज भी दीक्षा समारोह के कार्यक्रम में पहुंचे। यहां उन्होंने आचार्य विमर्श सागर से भेंटकर आशीर्वाद लिया। मंत्री ने इस दौरान प्रदेश की सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए आचार्य से आशीर्वाद मांगा।