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World Environment Day-यहां बच्चों की तरह होता है पौधों का पालन, जड़ें हो जाएं मजबूत तब करते हैं रोपण

locationदुर्गPublished: Jun 05, 2020 02:34:13 pm

Submitted by:

Hemant Kapoor

0 समाज के लिए कुछ कर गुजरने की जुनून में गायत्री परिवार के युवाओं ने कांक्रीट के बीच हरियाली बिखेरने का नया तरीका इजाद कर लिया है। 0 गायत्री परिवार के युवा घरों में नर्सरी तैयार कर पौधों की पहले बच्चों की तरह पालन करते है और जब ये परिपक्व और जानवरों की पहुंचे से ज्यादा ऊंचाई और मजबूत जड़ों वाले हो जाते हैं, तब खुली जगहों पर रोपण कर देते हैं।

World Environment Day-The plants are reared like children

बघेरा, गनियारी, हनोदा, अछोटी, अंडा, कोलिहापुरी के घरों में तैयार हो रहे पौधे

दुर्ग. अक्सर देखने में आता है कि पौधरोपण के बाद उचित देखभाल के अभाव में पौधे या तो कुछ ही दिनों में मर जाते है या फिर जानवर चट कर जाते है। इस तरह ये जानवरों से बच जाते हैं और जड़े परिवक्व होने के कारण आसानी से मरते नहीं। जिला मुख्यालय से लगे बघेरा, गनियारी, हनोदा, अछोटी, अंडा व कोलिहापुरी के गायत्री परिवार के युवा इसी तरह हजारों की संख्या में पौधे तैयार कर रहे हैं। युवाओं ने रोपने के बाद पौधे के बचाव के लिए सरल, सस्ता व कारगर तरीका भी ढूंढ निकाला है।

इस तरह तैयार होता है परिपक्व पौधा
युवाओं ने परिपक्व पौधा तैयार करने नई तकनीक इजाद की है। इसके तहत डेढ़ बाई एक फीट की पॉलीथिन में खाद और मिट्टी बराबर मात्रा में भरकर बीज या छोटे पौधे रोपण कर दिया जाता है। पॉलीथिन को नर्सरी की तर्ज पर छत अथवा घरों में रख दिया जाता है। एक से डेढ़ साल में ये पौधे 10 से 12 फीट के हो जाते हैं। इस तरह इनकी ऊंचाई जानवरों से ज्यादा हो जाती है। पॉलीथिन के अंदर जड़ें भी परिपक्व हो जाती है, जिससे ये सूखती नहीं।

जानवरों से बचाने तरीका
पौधे बड़े होने पर रोपने के कारण जानवर इसे खा नहीं पाते, लेकिन रगड़कर नुकसान पहुंचाने की शिकायत रहती है। इससे बचाव का भी युवाओं ने तरीका निकाला है। इसके लिए पौधे के चारों ओर 3 से 4 डंडे गड़ा दिया जाता है। इस तरह 400 से 500 रुपए के ट्री-गार्ड की भी जरूरत नहीं पड़ती। लोहे के ट्री गार्ड चोरी होने के कारण विकल्प के रूप में यह तरीका अपनाया जाता है।

ऑफिस की छत पर 2000 पौधे तैयार
इसी तरह की तकनीक अपनाकर गायत्री परिवार के प्रफुल्ल पटेल ने अपने घर और ऑफिस की छत पर लगभग 2000 पौधे तैयार किए हैं। ये पौधे 8 महीने के और 7 से 8 फीट की ऊंचाई के हो गए हैं। यानि अब इन पौधों को हरियाली बिखरने के लिए खुले जगहों पर लगाया जा सकता है। प्रफुल्ल की नर्सरी में बरगद, पीपल, आम, आंवला, नीम, जामुन, कटहल, बेल, कहवा, बहेड़ा, ईमली आदि के पौधे हैं।

पितरों की तरह करते हैं देखभाल
प्रफुल्ल पटेल बताते हैं कि गायत्री परिवार के द्वारा लोगों को अपने पितरों व पूर्वजों की याद में पौधरोपण के लिए प्रेरित किया जाता है। इसी तरह रोपे गए पौधों की पितर, मित्र, संतान अथवा परिवार के सदस्य के रूप में मानकर देखभाल के लिए प्रेरित किया जाता है। उन्होंने बताया कि गायत्री परिवार के युवाओं द्वारा धरती में हरियाली बिखेरने के संकल्प के साथ लगातार काम किया जा रहा है।
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