दुर्ग

पत्नी की चर्चा थी गांव में, बड़े भैय्या ने समझाया तो छोटे भाई ने गुस्से में कर दिया रिश्तों को कलंकित

पाटन विकास खंड के ग्राम पंचायत बठेना के पूर्व सरपंच नारायण धनकर की हत्या (Murder in Durg) मामले में उसके छोटे भाई सरजू धनकर को दोषी पाकर न्यायालय (Durg District court) ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

दुर्गAug 24, 2019 / 03:47 pm

Dakshi Sahu

पत्नी की चर्चा थी गांव में, बड़े भैय्या ने समझाया तो छोटे भाई ने गुस्से में कर दिया रिश्तों को कलंकित

दुर्ग. पाटन विकास खंड के ग्राम पंचायत बठेना के पूर्व सरपंच नारायण धनकर की हत्या (Murder in Durg) मामले में उसके छोटे भाई सरजू धनकर को दोषी पाकर न्यायालय (Durg District court) ने आजीवन कारावास ( Life imprisonment)की सजा सुनाई। उस पर 500 रुपए का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना अदा न करने पर तीन माह अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी। यह फैसला यायाधीश दीपक के गुप्ता के न्यायालय ने सुनाया गया। दोषी सरजू ने बैलगाड़ी से खूंटे से वार कर अपने बड़े भाई की हत्या की थी।
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खूंटे से कर दिया वार
टना 21 अक्टूबर 2017 की रात 8.30 बजे की है। तब नारायण धनकर गांव के सार्वजनिक बोरिंग के पार खड़ा था। सरजू दबे पाव वहां आया और पीछे से बड़े भाई के सिर पर खूंटे से कई वार किया। उसे बेहोशी की हालत में छोड़कर खूंटा वहीं पर फेंका और खेत की ओर भाग गया। अस्पताल ले जाते समय नारायण की मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी को दूसरे दिन गिरफ्तार कर लिया।
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बड़े भाई का समझाना नागवार गुजरा
पुलिस की विवेचन के मुताबिक सरजू धनकर की पत्नी के बारे में गांव में कई तरह की चर्चा पूर्व सरपंच नारायण के कानों तक पहुंची तो उसने अपने भाई सरजू को घर जाकर समझाया। सामाजिक प्रतिष्ठा को बचाकर रखने की समझाइश दी। कुछ दिन बाद सरजू को बैठाकर दोबारा समझाया। इसी बात पर सरजू ने अपने भाई की हत्या कर दी।
25 में 10 गवाह कोर्ट में मुकर गए
पुलिस ने आरोपी के मेमोरेण्डम को चालान का आधार बनाया था। सुनवाई के दौरान न्यायालय में मोमेरण्डम को प्रमाणित भी किया गया, लेकिन मोमेरेण्डम दर्ज करते समय पुलिस द्वारा बनाए गवाह पक्षद्रोह हो गए। इस प्रकरण में कुल 25 गवाह थे, जिसमें से न्यायालय ने 10 गवाहों को पक्षद्रोह घोषित कर दिया। अतिरिक्त लोक अभियोजक केडी त्रिपाठी ने बताया कि घटना के समय मृतक का बेटा हुलेश्वर चंद्राकर किराना दुकान के पास बैठा था। वहीं से उसने अपने चाचा सरजू को खेत की ओर भागते देखा था। कुछ देर बाद सार्वजनिक बोरिंग के पास भीड़ जुट गई। हुलेश्वर भी वहां गया तो देखा कि उसका पिता घायलावस्था में पड़ा हुआ है। तब से चाचा के खेत की ओर भागने का माजरा समझ में आया। इस बात उसने न्यायालय में बताया। न्यायाधीश ने इस बयान को प्रमुखता से लिया।
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