जब युवाओं ने वृक्षारोपण की ठानी तो उनके इस प्रयास को शासन-प्रशासन का भी साथ मिला। वृक्षारोपण कार्य के लिए मनरेगा मद से 4 लाख 32 हजार रुपए मंजूर किए गए। जिससे श्रमिकों को मजदूरी भुगतान किया गया। जुलाई 2017 में काम शुरू हुआ और 0.30 हेक्टेयर में मिश्रित प्रजाति के 300 पौधे रोपे गए। सप्ताह में एक बार कीटनाशक का छिड़काव भी करवाया गया। मनरेगा के माध्यम से फैन्सिग और पंचायत का पम्प मिला पौधों को पानी देने के लिए।
इस तरह गांव के युवाओं को काम भी मिल गया। बीरबल निषाद जो यहां काम करते हैं उन्होंने बताया कि उनको मनरेगा के माध्यम यह काम मिला। पेड़ पौधे लगाकर पुण्य भी कमाया और घर चलाने के लिए रुपए भी कमाए। बीरबल ने इस पूरे दिल से पौधों की देखभाल की काम किया। बीरबल का कहना है काम करते-करते उनको इन पौधों से लगाव सा हो गया है ये अपने लगते हैं।
ग्रामीणों ने अब पेड़ पौधों का महत्व समझ लिया है। इसलिए वो अब नहीं रुकेंगे। वे जानते हैं कि जीवन के लिए वृक्ष कितने जरूरी हैं। इसलिए सबने शपथ ली है कि वे 6 जुलाई को पौधा जरूर लगाएंगे। प्रगति और पर्यावरण का संतुलन जरूरी है।