scriptबद्रीनाथ मंदिर के इन 10 रहस्यों से अनजान होंगे आप, शंख बजाने पर भी है रोक | 10 secrets about Badrinath Temple, know why conch shouldn't blow here | Patrika News

बद्रीनाथ मंदिर के इन 10 रहस्यों से अनजान होंगे आप, शंख बजाने पर भी है रोक

Published: May 19, 2019 11:42:41 am

Submitted by:

Soma Roy

माता लक्ष्मी पर आधारित है शिव के इस मंदिर का नाम
भगवान विष्णु ने किया था बद्रीनाथ के इस हिस्से में तप

badrinath temple secrets

बद्रीनाथ मंदिर के इन 10 रहस्यों से अनजान होंगे आप, शंख बजाने पर भी है रोक

नई दिल्ली। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है बद्रीनाथ धाम। शिव के इस धाम में दर्शन करने भर से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। ये केदारनाथ के पास है। पीएम नरेंद्र मोदी भी आज यहां के दर्शन करने के लिए पहुंचे हैं।
1.लोकसभा चुनाव प्रचार का अंतिम दौर खत्म होने के बाद से पीएम नरेंद्र मोदी केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन के लिए निकले हैं। 19 मई को केदारनाथ में अपना समय गुजारने के बाद आज वे बद्रीनाथ मंदिर में मत्था टेकने पहुंचे हैं।
6 महीने बंद रहता है केदारनाथ मंदिर फिर भी जलता रहता है दीया, जाने 10 चौंकाने वाली बातें

2.मालूम हो कि शिव का ये धाम बहुत ही चमत्कारिक है। ये कई रहस्यों से भरा हुआ है। इन्हीं में से एक है यहां शंख का न बजाए जाना। वैसे तो हर मंदिर में शंख बजाना शुभ माना जाता है, लेकिन बद्रीनाथ में इस पर रोक है। इसके दो कारण हैं।
3.पहला कारण यह है कि बद्रीनाथ मंदिर बर्फ से ढका हुआ रहता है। ऐसे में शंख बजाने से इससे निकलने वाली ध्वनि बर्फ से टकरा सकती हैं। जिससे बर्फीले तूफान आने का खतरा बढ़ जाता है।
4.ब्रदीनाथ में शंख न बजाए जाने का एक आध्यात्मिक कारण भी है। शास्त्रों के अनुसार एक बार मां लक्ष्मी बद्रीनाथ में बने तुलसी भवन में ध्यान कर रहीं थी। तभी भगवान विष्णु ने शंखचूर्ण नामक राक्षस का वध किया था। चूंकि हिंदू धर्म में विजय पर शंख नाद करते हैं, लेकिन विष्णु जी लक्ष्मी जी का ध्यान भंग नहीं करना चाहते थे। इसी कारण उन्होंने शंख नहीं बजाया। तब से बद्रीनाथ में शंख नहीं बजाया जाता है।
5.एक अन्य कथा के अनुसार अगसत्य मुनि केदारनाथ में राक्षसों का संहार कर रहे थे। तभी उनमें से दो राक्षस अतापी और वतापी वहां से भागने में कामयाब हो गए। बताया जाता है कि राक्षस अतापी ने जान बचाने के लिए मंदाकिनी नदी का सहारा लिया।
मामूली-सी घंटी बदल सकती है आपकी किस्मत, पूजन के दौरान इसे बजाने से होते हैं ये 10 फायदे

6.वहीं राक्षस वतापी ने बचने के लिए शंख का सहारा लिया। वो शंख के अंदर छुप गया। माना जाता है कि अगर उस समय कोई शंख बजा देता तो असुर उससे निकल के भाग जाता। इसी वजह से बद्रीनाथ में शंख नहीं बजाया जाता है।
7.बद्रीनाथ मंदिर के नाम में एक रहस्य छुपा है। वैसे तो ये शिव का धाम है, लेकिन यहां विष्णु जी और देवी लक्ष्मी की भी पूजा होती है। पुराणों के अनुसार जब भगवान विष्णु ध्यान में लीन थे। तब बहुत ज्यादा बर्फ गिरने लगी थी। इसके चलते पूरा मंदिर भी ढक गया था। तभी माता लक्ष्मी ने बदरी यानि एक बेर के वृक्ष का रूप ले लिया।
8.ऐसे में विष्णु जी पर गिरने वाली बर्फ अब बेर के पेड़ पर गिरने लगी थी। इससे विष्णु जी हिमपात के कहर से बच गए। मगर वर्षों बाद जब विष्णु जी ने देवी लक्ष्मी की ये हालत देखी तो वे भावुक हो गए। उन्होंने लक्ष्मी जी से कहा कि उनके कठोर तप में वो भी उनकी भागीदार रही हैं।
9.ऐसे में इस धाम में उनके साथ लक्ष्मी जी की भी पूजा की जाएगी। चूंकि देवी ने बदरी यानि बेर के वृक्ष का रूप लिया था। इसलिए इस मंदिर का नाम बद्रीनाथ रखा गया।
10.पुराणों में बताया जाता है कि बद्रीनाथ के जिस हिस्से में विष्णु जी ने तप किया था आज वो जगह तप कुंड के नाम से जाना जाता है। इस कुुंड में हर मौसम में गर्म पानी रहता है। ये धरती से निकलता है। कहते हैं जो भी इस जल से स्नान करता है उसकी स्किन की दिक्कत समेत दूसरी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो