1.गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी से शुरू होता है। इस बार नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार गुरू स्वाति योग बन रहा है। ये 27 नक्षत्रों में 15वें स्थान का माना जाता है। चूंकि गणेश जी बुद्धि के देवता और गुरू समृद्धि के इसलिए फल ज्यादा शुभदायी होगा।
2.पंचाग के अनुसार चतुर्थी तिथि पर इस अद्भुत संयोग के पड़ने से पूजन का फल दोगुना मिलेगा। इस दिन की गई गणेश स्थापना से व्यक्ति के जीवन में आ रही बाधाएं खत्म हो जाएंगी, साथ ही व्यक्ति को जीवन में कामयाबी मिलेगी।
3.गुरू स्वाति योग के प्रभाव से सारे अशुभ फल दूर हो जाएंगे और ये व्यक्ति के जीवन में खुशहाली लाएगा। इस योग में गजानन की विधिपूर्वक पूजन से व्यक्ति को धन—सम्पत्ति की प्राप्ति होगी।
4.स्वाति नक्षत्र का स्वामी ग्रह वायु देव होते हैं। इस नक्षत्र के चारों चरण तुला राशि के अंतर्गत आते हैं जिसका स्वामी शुक्र है। वहीं चतुर्थी के गुरूवार को पड़ने से ये महासंयोग बन रहा है। इस दिन गणपति की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही मुश्किलें खत्म होंगी और उसे सारे सांसारिक सुखों की प्राप्ति होगी।
5.इस नक्षत्र में ज्यादा लाभ के लिए गणेश जी को सही दिशा में विराजित करना जरूरी है। इसलिए भगवान की मूर्ति पूर्व दिशा में रखना सबसे अच्छा होगा। क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार ईशान कोण सबसे शुभ होता है। इस जगह भगवान की स्थापना करने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है।
6.अगर आप बुरी नजर से बचना चाहते हैं और घर-परिवार को मुश्किलों से बचाना चाहते हैं तो मध्य उत्तर दिशा से वायव्य कोण की तरफ बढ़ते हुए मूर्ति की स्थापना करें। ऐसा करने घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। साथ ही परिवार के सदस्यों के संबंध बेहतर होंगे।
7.अगर आप मनोवांछित फल की पाना चाहते हैं तो पश्चिम दिशा की ओर गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना करें। इससे आप या आपके घर पर हुए जादू-टोने एवं नकारात्मक शक्तियों का असर खत्म हो जाएगा।
8.इस बार चतुर्थी 12 सितंबर को बुधवार को शाम 04:08 से शुरू होगी जो कि 13 सितंबर दिन गुरुवार को दोपहर 02.52 तक रहेगी। 9.गणेश चतुर्थी पर पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 11:09 से दोपहर 01:36 मिनट तक है, यानि मुहूर्त की अवधि – 2 घंटे 45 मिनट की है। इस बार ये वृश्चिक लग्न में है इसलिए इस राशि के जातकों के लिए ये अत्यन्त शुभ है।
10.इस दिन अंकों का भी संयोग बन रहा है क्योंकि चतुर्थी तिथि इस पर 13 सितंबर को है और इसका मूलांक 4 होता है। इस ग्रह का स्वामी राहु होता है। इसलिए इस बार गणेश जी की पूजा करने से राहु के दोष से भी मुक्ति मिलेगी।