1.चंद्रयान 2 मिशन में शामिल इस ऑर्बिटर का वजन लगभग 2379 किलोग्राम है। ये चांद की सतह की जानकारी देने के लिए अपने साथ आठ वैज्ञानिक उपकरण ले गया है। 2.ऑर्बिटर में टेरेन मैपिंग कैमरा 2 लगा हुआ है। जो चांद की सतह की बारीकी से फोटो ले सकता है। इसी के जरिए वैज्ञानिक चांद की सतह का 3 डी मैप बना सकते हैं।
3.ऑर्बिटर में लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स रे स्पेक्ट्रोमीटर भी लगा हुआ है। ये चांद पर मौजूद एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, मैग्नीशियम जैसे अन्य महत्वपूर्ण खनिजों की जानकारी देने में मदद कर रहा है। 4.ऑर्बिटर में सोलर एक्स रे मॉनिटर भी लगा हुआ है। इसके जरिए वैज्ञानिक सूर्य की तरंगों की जांच कर सकते हैं।
5.वैज्ञानिक ऑर्बिटर में लगे आईआर स्पेक्ट्रोमीटर के जरिए चांद पर हो रही हलचल की जानकारी ले सकते हैं। 6.इस ऑर्बिटर की एक और खासियत यह है कि इसमें डुअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार लगा हुआ है। इसका काम ध्रुवीय क्षेत्रों में मौजूद पानी की मात्रा की जानकारी देना है।
7.नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर चांद के आस पास घूमकर वहां की सटीक जानकारी दे सकता है। इसकी लाइफ करीब एक साल तक की है। 8.ये ऑर्बिटर आधुनिक तकनीक से लैस है। इसमें लगे सेंसर की मदद से ये 100 किमी दूर से ही चांद की बारीकी को पकड़ सकता है।
9.वैज्ञानिकों के मुताबिक ऑर्बिटर के सही काम करने की वजह से ही चांद की सतह पर मौसम के बदलाव की पल-पल की खबर को देखा जा पा रहा है। 10.अभी हाल ही में ऑर्बिटर में लगे हाई रिजोल्यूशन कैमरे की मदद से ली गई चांद की सतह की तस्वीरें जारी की गई थी। जिसमें चांद पर मिले गड्ढ़ों की बारीकी से जांच की जा रही है।