1.खील यानी धान मूलत: धान (चावल) का ही एक रूप है। दिवाली के पहले ही इसकी फसल तैयार होती है, इस कारण लक्ष्मी को फसल के पहले भोग के रूप में खील-बताशे चढ़ाए जाते हैं।
2.ज्योतिष शास्त्री हरिशंकर मिश्रा के अनुसार दिवाली पर मां लक्ष्मी को खील चढ़ाने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है। 3.धान का संबंध शुक्र ग्रह से होता है। इसलिए इस ग्रह को प्रसन्न करने के लिए लक्ष्मी मां को खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
4.चूंकि मां लक्ष्मी का संबंध आकर्षण से है और शुक्र ग्रह भी इसी से संबंधित है। ऐसे में दिवाली पर खील-बताशे का भोग लगाने से व्यक्ति का प्रभाव बढ़ता है। 5.खील-बताशे सफेद रंग के होते हैं और मां लक्ष्मी को श्वेत चीजें पसंद होती हैं। इसलिए इन्हें चढ़ाने से देवी मां की कृपा मिलती है।
6.लक्ष्मी पूजन के समय कभी खील-बताशे को जमीन पर नहीं रखना चाहिए। इससे देवी मां का अपमान होता है। इससे दरिद्रता आ सकती है। 7.दिवाली के दिन घर आए मेहमानों को खील-बताशे जरूर देने चाहिए। ऐसा करने से घर में कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती है।
8.खील-बताशे का भोग लगाने से घर में समृद्धि आती है। क्योंकि ये किसान के परिश्रम का फल होता है। 9.मां लक्ष्मी को सादी चीजें पसंद आती हैं। इसलिए उन्हें खील-बताशे का भोग लगाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है।
10.दिवाली के दिन देवी मां को खील-बताशे का भोग लगाते समय मां अन्नपूर्णा का भी ध्यान करें। इससे घर में हमेशा बरकत होती है।