1.पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान गणेश में पूरे ब्रम्हांड की चीजें वास करती हैं। इनमें अच्छे और बुरे दोनों शामिल होते हैं। उनके कान, हाथ, पेट और नाभि जहां शुभ फल देते हैं, वहीं उनकी पीठ अशुभ फल देती है।
2.पुराणों के अनुसार गणपति के प्रत्येक अंग अलग-अलग चीजों का प्रतीक होती हैं जैसे- कानों पर ऋचाएं, दाएं हाथ में वर, बाएं हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रह्मलोक का वास होता है।
3.जबकि गणेश जी की पीठ पर दरिद्रता का निवास होता है। इसके दर्शन करने से व्यक्ति का दुर्भाग्य आता है। इससे किस्मत वाले लोग भी खाक हो जाते हैं। इससे उन्हें धन-सम्पत्ति से लेकर अन्य कई नुकसान होते हैं।
4.अगर कोई व्यक्ति घर से बाहर जाते समय गणेश जी के पीठ देख लें तो उसके बनते हुए काम भी बिगड़ जाएंगे। इससे व्यक्ति को समाज एवं कार्यक्षेत्र में अपमानित भी होना पड़ सकता है।
5.यदि कोई व्यक्ति गलती से गणेश जी की पीठ देख लें तो उसे क्षमा याचना करनी चाहिए और सच्चे मन से गणपति का ध्यान करना चाहिए। इससे व्यक्ति पर पड़ने वाला नकारात्मक प्रभाव खत्म हो जाएगा।
6.गजानन के पीठ के दर्शन को न सिर्फ शास्त्रों में बल्कि वास्तु शास्त्र में भी अशुभ माना गया है। वास्तु के अनुसार गणपति के पीछे के भाग के दर्शन से व्यक्ति को कई दोष लग सकते हैं। इससे जातक की तरक्की प्रभावित हो सकती है।
7.अगर आप घर में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि उनका मुख हमेशा दक्षिण व पश्चिम दिशा की ओर हो। ऐसा करने से घर में समृद्धि आती है। इसके विपरीत दिशा में मुख होने से घर में दरिद्रता आती है।
8.अगर आप घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति रख रहे हैं तो एक तरफ प्रतिमा रखने के बाद दूसरी तरफ भी उनकी वही प्रतिमा रखें। दोनों मूर्तियों की पीठ को मिलाकर रखें। ऐसा करने से वास्तु दोष नहीं लगेगा।
9.कई लोग घर में गणेश जी की बहुत सारी तस्वीरें एवं मूर्तियां रख लेते हैं, मगर शास्त्रों के अनुसार ये अशुभ संकेत होते हैं। ऐसा करने से गणपति का शुभ प्रभाव नहीं पड़ता है। मान्यताओं के अनुसार एक घर में गणेश जी की 3 से ज्यादा मूर्ति व फोटो नहीं होनी चाहिए।
10.बहुत से लोग भगवान के सिंहासन पर गणेश जी की दो प्रतिमाएं व तस्वीरें रख देते हैं। मगर शास्त्रों के अनुसार ऐसा करना वर्जित है। क्योंकि गजानन की दो मूर्तियां रखने से दोनो की शक्ति का टकराव होता है जिससे शुभ फल अशुभ संकेत में बदल जाता है।