1.रविवार को ही नहीं अन्य कुछ दिन भी तुलसी के पत्ते तोड़ना बुरा माना जाता है जिसका उल्लेख विष्णु पुराण में दिया गया है।
2.विष्णु पुराण में ही इस बात का उल्लेख दिया गया है कि रविवार के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और ना ही तुलसी के पौधे में जल चढ़ाना चाहिए।
3.विष्णु पुराण के हिसाब से आपको रविवार के अलावा एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण और साथ ही शाम के समय भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।
4.एकादशी को तुलसी के पत्ते तोड़ना इसलिए निषेध माना जाता है कि क्योंकि इस दिन मां तुलसी एकादशी के व्रत करती हैं और उनके पत्ते तोड़कर परेशान करना उचित नहीं माना जाता।
5.विष्णु पुराण के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ता है और मां तुलसी के व्रत में व्यवधान उत्पन्न करता है उसके घर में हमेशा गरीबी का वास होता है।
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6.वहीं रविवार के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना इसलिए निषेध माना जाता है क्योंकि यह दिन विष्णु जी का प्रिय दिन है और उनके अवतार सूर्य देव की पूजा होती है।
7.वहीं कहा जाता है कि तुलसी के पत्तों को बिना स्नान किए भी नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि यह पत्ते भगवान को पूजा में स्वीकार नहीं होते हैं।
8.तुलसी के पत्तों को तोड़कर रख लें और बाद में भी इन्हे इस्तेमाल कर सकते हैं इस तरह से आप निषेध दिनों में भी बिना तुलसी के पत्ते तोड़ भगवान को चढ़ा सकते हैं।
9.पहले से तोड़े गए तुलसी के पत्तों को गंगा जल से धोकर भगवान को चढ़ा सकते हैं और 11 दिन से अधिक पुराने तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल ना करें क्योंकि यह बासी माने जाते हैं।
10.साथ ही ध्यान रखें कि भगवान शिव और भगवान गणेश की पूजा में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ऐसा करना अशुभ माना जाता है।