कला—संगीत एवं अन्य क्षेत्रों की तरह बिजनेस फील्ड में भी बच्चों ने अपने पिता का नाम रौशन किया है। उन्होंने न सिर्फ अपने फैमिली बिजनेस को बल्कि खुद के व्यवसाय को भी विकसित किया है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही नामचीन बिजनेसमैन के बच्चों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने पिता के नाम को आगे बढ़ाया है।
दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में शुमार रिलायंस ग्रुप के मालिक मुकेश अंबानी के बेटे आकाश और बेटी ईशा ने उनके बिजनेस को आगे बढ़ाने में बहुत मदद की है। दोनों इस वक्त कंपनी के बोर्ड डायरेक्टर्स में शामिल हैं। अंबानी के दोनों बच्चे 24 साल की उम्र में कंपनी में शामिल हुए थे।
टाटा स्टील के मालिक लक्ष्मी मित्तल के बच्चों ने भी उनके व्यवसाय को बुलंदियों पर पहुंचाने में बहुत मदद की है। उनके बेटे आदित्य ने मित्तल ग्रुप को सन् 1997 में ज्वाइन किया था। तब से कंपनी की काफी ग्रोथ हुई है। इससे रैंकिंग में भी सुधार हुआ है। वहीं लक्ष्मी मित्तल की बेटी वनीशा ने भी साल 2004 में कंपनी को ज्वाइन किया। उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।
आईटी इंडस्ट्री में धाक जमाने वाली विप्रो कंपनी के चीफ स्ट्रैटेजी ऑफ़िसर एवं बोर्ड मेंबर रिशाद प्रेमजी आज दुनिया में एक जाना पहचाना नाम है। उन्होंने अपने पिता की कंपनी होने का फायदा नहीं उठाया, बल्कि आम लोगों की तरह खुद भी विप्रो में इंटरव्यू दिया। जिसके बाद वे अपने बिजनेस कौशल से आगे बढ़े। उन्होंने बाद में फाइनेंस, इंश्योरेंस और बैंकिंग सर्विसेज का भी कार्यभार संभाला।
फार्मास्यूटिकल जगत में अपना नाम बनाने वाली सन कंपनी के सीनियर जनरल मैनेजर आलोक सांघवी ने भी अपने पिता के व्यवसाय को आगे बढ़ाने में सहायता की है। उन्हें व्यवसायिक गुण अपने पिता से विरासत में मिली है। तभी तो उन्होंने दवाई कंपनी के अतिरिक्त खुद की एक सोलर कंपनी भी बना ली है, जिसका नाम पीवी पॉवरटेक है।
एयरटेल कंपनी के फाउंडर सुनील मित्तल की तरह उनके बेटे कैविन मित्तल भी बिजनेस के दांवपेच में माहिर हैं। तभी तो उन्होंने अपने पिता के बिजनेस में अपना करियर बनाने की बजाय खुद का व्यवसाय शुरू किया। आज वो हाइक मैसेंजर ग्रुप के मालिक हैं। उनकी सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके इस मैसेंजर ऐप को करीब 35 मिलियन लोग इस्तेमाल कर रहे हैं।
गोदरेज कंपनी के मालिक आदि गोदरेज की बेटी निसा भी अपने पिता के बिजनेस में हिस्सेदार हैं। पापा के बिजनेस को विकसित करने का काफी श्रेय निसा को जाता है। वो कंपनी में बीस हजार से ज्यादा कर्मचारियों को अपनी निगरानी में हैंडल करती हैं। खानदानी व्यवसाय के अलावा निसा डसारा नामक एक संगठन भी चलाती हैं, जो लड़कियों की शिक्षा में मदद करती है।
एचसीएल ग्रुप के फाउंडर शिव नादर की इकलौती बेटी रौशनी भी कंपनी का हिस्सा हैं। उन्होंने कंपनी में एक मामूली पद से शुरुआत की थी, मगर उनकी मेहनत से वो एक साल के अंदर ही कंपनी की एक्सिक्यूटिव डायरेक्टर बन गईं।
बिरला कंपनी के मालिक कुमार मंगलम की बेटी अनन्या बिरला को भी व्यवसायिक गुण अपने पिता से विरासत में मिली है। उन्होंने अपने खानदानी बिजनेस में एंट्री के बजाय अपनी खुद की एक कंपनी शुरू की है। जिसका नाम स्वतंत्र माइक्रोफिन प्राइवेट लिमिटेड है। इस कंपनी को उन्होंने दो साल पहले शुरू किया था। ये कंपनी गरीब लोगों को अपना छोटा बिजनेस शुरू करने के लिए लोन देती है।
अदानी ग्रुप आॅफ कंपनी के मालिक गौतम अदानी के बेटे करण अदानी भी अपने पिता के व्यवसाय में उनका हाथ बंटा रहे हैं। करण ने इकनॉमिक्स में ग्रेजुएशन करने के बाद अपने पिता की कंपनी को साल 2009 में ज्वाइन किया था। वो इस समय वो अदानी पोर्ट्स के सारे स्ट्रैटेजी डेवलपमेंट का काम संभाल रहे हैं।