ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस दिन विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। आज के दिन घर में दीपक का उपाय करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। जिससे घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है।
निर्जला एकादशी को पांडव एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भक्तों को सुबह से बिना पानी एवं अन्न के व्रत रखना होता है। व्रत का नियम एकादशी के एक दिन पहले यानि दशमी तिथि से ही प्रारंभ हो जाता है। जबकि इस व्रत का पारण द्वादशी के दिन किया जाता है।
ये व्रत बहुत शुभ फलदायी होता है इसलिए एकादशी की शाम को घर के एक कोने में घी का दीपक जलाना चाहिए। इसमें थोड़ा केसर डालना चाहिए। कोशिश करें कि ये दीपक पूरी रातभर जलें। यदि ये संभव न हो तो दीये को कम से कम एक घंटे तक जलने दें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और घर में कभी धन की कमी नहीं होगी।
इस उपाय से रुपए—पैसों की लेनदेन में परेशानी एवं कर्ज आदि से छुटकारा मिलेगा। इससे परिवार के सदस्यों की तरक्की होगी। साथ ही उन्हें सुख—समृद्धि की प्राप्ति होगी। इस दिन घर में दीपक जलाने से नकारात्मकता का भी नाश होगा।
इसके अलावा इस दिन एक मिट्टी के पात्र में जल भरकर घर के ईशान कोण यानि पूर्व एवं उत्तर दिशा की ओर रखने से भी घर में समृद्धि आएगी। ये उपाय आपको प्रात:काल करना होगा। पात्र को रखने से पहले आप स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
घर के कोने में रखा जाने वाला ये पात्र लाल रंग का हो तो बहुत शुभ रहेगा। यदि लाल रंग का मिट्टी का बर्तन न मिलें तो आप किसी अन्य रंग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि पात्र काले रंग का न हो।
इस उपाय को करने के बाद पूरे दिन कलश को ऐसे ही रहने दें। सायंकाल के समय मिट्टी के इस पात्र को ले जाकर किसी मंदिर में रख दें या किसी ब्राम्हण को दें दें। यदि ये संभव न हो तो इसे किसी पीपल के वृक्ष के नीचे रख दें।
निर्जला एकादशी को पूरे दिन व्रत रखने से विष्णु भगवान प्रसन्न होते हैं। पौराणिक धर्मग्रंधों के अनुसार सालभर में करीब 24 एकादशी होती हैं, मगर पुरुषोत्तम मास होने पर साल में करीब 26 एकादशी होती हैं। जो लोग सालभर एकादशी का व्रत नहीं रख सकते हैं वो निर्जला एकादशी का व्रत रखकर पूरे व्रत का लाभ उठा सकते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु से मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। यदि आप इसमें सक्षम नहीं है तो 11,21 एवं 51 बार भी इस मंत्र को पढ़ सकते हैं।
निर्जला एकादशी के दिन भगवान को माखन, मिश्री का भोग लगाएं। साथ ही तुलसी दल भी चढ़ाएं। इससे विष्णु जी की आप पर विशेष कृपा होगी। उनके आशीर्वाद से नवग्रह दोष, पितृ दोष एवं अन्य नकारात्मक चीजों से मुक्ति मिलेगी।