1.चूने में प्रचुर मात्रा में एंटीबायोटिक तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें एंटी पायरेटिक, एंटी फंगल और एंटी इन्फ़्लमेट्री तत्व भी होते हैं। गर्भावस्था के दौरान एक तय मात्रा में इसके सेवन से मां को डिलीवरी में कोई दिक्क्त नहीं आती है।
2.चूने को अनार के जूस में मिलाकर पीने से डिलीवरी नॉर्मल होती है। क्योंकि ये बच्चे को सही हालत में रखने में मदद करता है। ये प्रक्रिया आपको सप्ताह में तीन से चार दिन करनी होगी।
3.चूने को सांइस की भाषा में कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड कहते हैं। प्रेगनेंसी में इसके सेवन से होने वाले बच्चे का दिमाग तेज होता है। ऐसे बच्चे जन्म से ही बुद्धिमान होते हैं। हालांकि इसका सेवन महज एक गेहूं के दाने के बराबर ही करना होगा।
4.चूने के सेवन से पीरियड्स में होने वाली तकलीफों से भी छुटकारा मिलता है। साथ ही अगर आपको मासिक धर्म नियमित रूप से नहीं हो रहे हैं तो आप चूने की एक गोली के बराबर मात्रा एक गिलास पानी में घोलकर पिएं। इससे समस्या दूर हो जाएगी।
5.गर्भावस्था के दौरान चूने का प्रयोग बहुत लाभकारी होता है। ये मां और बच्चा दोनों के शरीर में कैल्शियम को पहुंचाता है। जिससे हडिड्यां मजबूत होती हैं। 6.गर्भावस्था के दौरान मां के चूना खाने से बच्चा भी स्वस्थ होता है। वो शारीरिक रूप से हष्ट-पुष्ट रहता है। उसे जल्दी बीमारी नही होती है।
7.अगर आपके घुटनों में दर्द रहता है, साथ ही अगर आपको घुटने को रिप्लेस कराने की नौबत आती है, तब भी आप रोज चूने का प्रयोग कर सकते हैं। इससे हडिड्यों को कैल्शियम मिलेगा। जिससे वो मजबूत होंगे और जल्दी टूटेंगे नहीं।
8.चूने की जरा-सी मात्रा गन्ने के रस या नींबू के रस में मिलाकर पीने से पीलिया रोग से भी मुक्ति मिलती है। कई लोग जांडिंस के दौरान चूने को हल्दी मिलाकर हाथों में भी रगड़ते हैं।
9.जो लोग चूने को रोज सुबह पानी में घोलकर पीते हैं, उन्हें अर्थराइटिस की बीमारी नहीं होती है। उनके बोन्स मजबूत होते हैं। उनके शरीर में कैल्शियम उचित मात्रा मेे होता है। 10.जो लोग चूने को गुलकंद और इलायची के साथ खाते हैं, उनके मुंह से बदबू नहीं आती। साथ ही उन्हें दांतों के दर्द में भी आराम मिलता है। ऐसा नियमित रूप से करने पर दांत मजबूत होते हैं और मसूड़ों से भी खून नहीं निकलता है।